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प्रशांत किशोर नहीं लड़ेंगे बिहार विधानसभा चुनाव, चुनावी दाव या कुछ और? जानें बड़ी वजह

जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी 150 से कम सीटें जीतती है तो वह हार मानी जाएगी। किशोर ने बताया कि चुनाव न लड़ने का फैसला पार्टी के हित में लिया गया है।
Post Published By: ईशा त्यागी
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प्रशांत किशोर नहीं लड़ेंगे बिहार विधानसभा चुनाव, चुनावी दाव या कुछ और? जानें बड़ी वजह

Patna: जन सुराज पार्टी के प्रमुख और बिहार के राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बुधवार को एक चौंकाने वाला ऐलान करते हुए कहा कि वे इस बार बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह फैसला पार्टी के व्यापक हित में लिया गया है ताकि पार्टी की तैयारियों और रणनीतियों पर पूरा ध्यान केंद्रित किया जा सके।

150 से अधिक सीटों पर लड़ने की उम्मीद

प्रशांत किशोर ने एक इंटरव्यू में कहा, अगर जन सुराज पार्टी 150 से कम सीटें जीतती है तो इसे हार माना जाएगा। मैं 150 से अधिक सीटें जीतने की उम्मीद करता हूं, अन्यथा यह एक बड़ी असफलता होगी। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी चुनाव न लड़ने की रणनीति का मकसद संगठनात्मक कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना है।

चुनाव न लड़ने का बताया कारण

उन्होंने बताया कि पार्टी ने तेजस्वी यादव के खिलाफ राघोपुर से एक अन्य उम्मीदवार घोषित किया है। इस फैसले के पीछे पार्टी के हित और चुनावी रणनीति को मजबूत बनाना है। किशोर ने कहा, अगर मैं चुनाव लड़ता तो इससे मेरी ऊर्जा बंट जाती और पार्टी के काम प्रभावित होते। इसलिए मैंने चुनाव न लड़ने का फैसला किया है।

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प्रशांत किशोर ने आगामी चुनाव के परिणामों को लेकर अपनी उम्मीदें भी जाहिर कीं। उन्होंने कहा, मैंने पहले भी कहा है कि हमें 10 से कम सीटें या 150 से अधिक सीटें मिलेंगी। इसके बीच की कोई संभावना नहीं है। 150 से कम सीटें मेरे लिए हार ही होगी।

अगर पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया तो…

उन्होंने आगे कहा कि अगर पार्टी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो बिहार को देश के शीर्ष दस राज्यों में शामिल करने का जनादेश मिलेगा। इसके विपरीत, अगर पार्टी कमजोर प्रदर्शन करती है तो उन्हें फिर से जमीनी स्तर पर जाकर ‘सड़क और समाज की राजनीति’ जारी रखनी होगी।

प्रशांत किशोर ने कहा, हमारा लक्ष्य बिहार में बदलाव लाना है। यह चुनाव बिहार की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण होगा और जीत से पूरे देश की राजनीति पर असर पड़ेगा।

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बिहार की सियासत में नया मोड़

प्रशांत किशोर का यह फैसला बिहार की सियासी लड़ाई में एक नया मोड़ माना जा रहा है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि वे पार्टी की रणनीति और संगठन के विकास पर ज्यादा फोकस करना चाहते हैं न कि व्यक्तिगत चुनाव लड़ने पर।

बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आ रही हैं और सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हैं। जन सुराज पार्टी की यह रणनीति उनके चुनाव अभियान को किस दिशा में ले जाती है, यह आगामी महीनों में साफ होगा।

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