86 फीसदी की राय: सस्पेंड हो चुके अफसर को नही बनाया जाना चाहिये ओएनजीसी का सीएमडी

1 अक्टूबर 2017 से चार साल के लिए पेट्रोलियम क्षेत्र की देश की सबसे बड़ी सरकारी कंपनी ओएनजीसी की कमान एक ऐसे अफसर के हाथ में होगी जो निविदाओं में अनियमितता के मामले में केन्द्र सरकार द्वारा सस्पेंड किया जा चुका है। इसी मामले पर डाइनामाइट न्यूज़ ने एक सर्वेक्षण किया और देश की जनता से सवाल किया कि “क्या सस्पेंड हो चुके किसी अफसर को ओएनजीसी का सीएमडी बनाया जाना चाहिये?” इसके जबाव में चौंकाने वाले नतीजे सामने आये हैं। 86 फीसदी जनता की राय है.. “नही”।

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 14 August 2017, 7:59 PM IST
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नई दिल्ली: देश की महारत्न कंपनी, तेल और प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी) के वर्तमान सीएमडी 30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इसके बाद इसकी कमान किसे दी जाये इसको लेकर पब्लिक इंटरप्राइजेज सलेक्शन बोर्ड (पीइएसबी) ने बीते 19 जून को कुल 9 उम्मीदवारों का इंटरव्यू किया।

पीइएसबी द्वारा घोषित नतीजा

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नतीजे शाम को ही घोषित कर दिये गये औऱ चयनित उम्मीदवार के रुप में शशि शंकर के नाम पर मुहर लगा दी गयी। शशि वर्तमान में ओएनजीसी के निदेशक (तकनीकी और फील्ड सेवाएं) के पद पर तैनात हैं।

पीटीआई का ट्विट

2015 में हुआ निलंबन

डाइनामाइट न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक शशि शंकर को 23 फरवरी 2015 को सरकार ने निलंबित कर दिया। इसकी जानकारी मीडिया को बाकायदे भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी।

भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) की प्रेस विज्ञप्ति

निलंबन का कारण

सूत्रों के मुताबिक शशि शंकर को 21 ब्लोआउट प्रीवेंटर्स (बीओपी) की खरीद वाली निविदाओं में धांधली की वजह से निलंबित किया गया था। उस समय पेट्रोलियम मंत्रालय ने ओएनजीसी को पत्र लिखकर कहा था कि शंकर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई अपेक्षित है। इसके बाद कंपनी ने शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा था, ‘‘सक्षम प्राधिकरण ने ओएनजीसी के आचरण, अनुशासन तथा अपीलीय नियम, 1994 के तहत ओएनजीसी के निदेशक (तकनीकी एवं फील्ड सेवाए) शशि शंकर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।’’

निलंबन से मचा हड़कंप

बहुत कम ऐसा होता है कि महरत्न कंपनी के किसी निदेशक स्तर के उच्च पद पर बैठे अधिकारी को सरकार निलंबित करे, वह भी निविदाओं में अनियमितता के मामले में। जब शशि के निलंबन की खबर पेट्रोलियम मंत्रालय ने दी तो ओएनजीसी सहित समूचे पीएसयू सेक्टर में हड़कंप मच गया और सरकार की इस कार्यवाही की सराहना हुई। निलंबन के समय यह खबर देश के सभी प्रमुख टीवी चैनलों और अखबारों की सुर्खियां बनीं।

पिछले साल मिली क्लिनचिट

निविदाओं में अनियमितताओं के कारण निलंबित शशि शंकर को पिछले साल जून में ही आरोपों से केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) की तरफ से क्लिनचिट मिल गयी और इसके बाद पीईएसबी ने ओएनजीसी के सीएमडी के पद की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे और शशि ने आवेदन किया और नौ लोगों के बीच में से इन्हें चयनित कर दिया गया।

एसीसी लगायेगी अंतिम मुहर

अब गेंद सरकार के पाले में है। नियमों के मुताबिक शशि की फाइल एक-एक कर पेट्रोलियम मंत्रालय फिर केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) और अंत में नियुक्ति संबंधी मामलों की कैबिनेट समिति (एसीसी) के पास जायेगी, जहां से अंतिम मुहर लगने के बाद शशि के ओएनजीसी की कमान संभालने का रास्ता साफ होगा।

सबसे बड़ा सवाल

डाइनामाइट न्यूज़ यह सवाल उठा रहा है कि आखिरकार कौन सा ऐसा कारण है कि निविदाओं में अनियमितताओं के आरोप में सस्पेंड हो चुके दागी अफसर को आनन-फानन में क्लिनचिट देने के बाद ओएनजीसी की कमान देने की तैयारी की रही है? क्या देश में सिर्फ यही इस पद के लिए योग्य अफसर बचे हैं? इस नियुक्ति के पीछे के असली कारण क्या हैं? क्या इससे कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने की साजिश है? इसका खुलासा डाइनामाइट न्यूज़ आने वाले दिनों में करेगा..