डोनाल्ड ट्रंप: भारत, चीन को लाभ पहुंचाने वाले पेरिस जलवायु समझौते से हटेगा अमेरिका

डीएन संवाददाता

व्हाइट हाउस के रोज गार्डन से बहु प्रत्याशित फैसले की घोषणा करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्हें पिट्सबर्ग का प्रतिनिधित्व करने के लिए निर्वाचित किया गया है ना कि पेरिस का।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप


वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ग्रीन हाउस गैसों के दूसरे सबसे बड़े उत्सर्जक देश के पेरिस जलवायु समझौते से अलग होने की घोषणा करते हुए कहा कि 190 से अधिक देशों की सहमति वाले इस समझौते में भारत और चीन जैसे देशों को अनुचित लाभ मिला है लेकिन उनके इस फैसले की अंतरराष्ट्रीय नेताओं, कारोबारी समूहों और कार्यकर्ताओं ने तीखी आलोचना की है।

रीयल इस्टेट उद्योगपति ने कहा कि उन्होंने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि यह समझौता अमेरिका के लिए अनुचित है और इससे कारोबार तथा रोजगार पर बुरा असर पड़ा है।

उन्होंने कहा कि भारत को पेरिस समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करने के लिए अरबों डॉलर मिलेंगे और चीन के साथ वह आने वाले कुछ वषरें में कोयले से संचालित बिजली संयंत्रों को दोगुना कर लेगा और अमेरिका पर वित्तीय बढ़त हासिल कर लेगा।

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व्हाइट हाउस के रोज गार्डन से बहु प्रत्याशित फैसले की घोषणा करते हुए ट्रंप ने कहा कि उन्हें पिट्सबर्ग का प्रतिनिधित्व करने के लिए निर्वाचित किया गया है ना कि पेरिस का।

ग्लोबल वार्मिंग पर लगाम लगाने के इकलौते सबसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय प्रयासों से अमेरिका के हटने के लिए उद्योगपतियों, नेताओं, विश्व नेताओं और पर्यावरणविदों ने ट्रंप की आलोचना की है।

डेमोक्रेटिक नेता नैन्सी पेलोसी ने कहा कि इस समझौते से बाहर आना जलवायु संकट के खिलाफ लड़ाई में अमेरिकी नेतृत्व को छोड़ देना है।

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पेलोसी ने कहा, ‘‘अगर राष्ट्रपति ट्रंप चाहते हैं कि चीन और भारत जैसे देश जलवायु पर कड़े और तीव्र कदम उठाएं तो उन्हें पेरिस समझौते के जवाबदेही और कार्यान्वयन प्रावधानों के जरिए ऐसा करना चाहिए ना कि हमारे शब्द वापस लेकर और समझौते से बाहर निकलकर।’’ 

टेस्ला संस्थापक एलोन मस्क ने कहा कि वह विरोध में उद्योग पर व्हाइट हाउस की सलाहकार परिषद को छोड़ देंगे। 

मस्क ने ट्विटर पर कहा, ‘‘मैं राष्ट्रपति परिषद छोड़ रहा हूं। जलवायु परिवर्तन वास्तविक है। पेरिस समझौते से हटना अमेरिका या विश्व के लिए अच्छा नहीं है।’’ 










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