मैनपुरी जिले में तरकाशी (तारकासी) कला को सैकड़ों वर्षों से कारीगरों द्वारा किया जा रहा है, और अब इसे सरकारी मदद से एक नई दिशा मिली है। नेमीचंद शाक्य जैसे कारीगरों ने इस कला को देश-विदेश में पहचान दिलाई है और रोजगार के नए अवसर भी सृजित किए हैं।

मैनपुरी जिले में तारकासी (तरकाशी) कला की कारीगरी ने क्षेत्र को न केवल पहचान दिलाई है, बल्कि इसे एक उद्योग का रूप भी दिया है। यह कला पिछले कई सदीयों से यहां के कारीगरों द्वारा की जा रही है। मैनपुरी में इस कला को न केवल संरक्षित किया गया है, बल्कि सरकारी मदद से इसे एक नई ऊँचाई तक पहुँचाया गया है। तरकाशी या तारकासी कला एक प्रकार की धातु की कारीगरी है, जिसमें धातु की पतली तारों से नक्काशी की जाती है और फिर उसे लकड़ी, लकड़ी के बर्तन या अन्य धातु के सामान पर उकेरा जाता है। यह कला मुख्य रूप से सजावट और डिजाइनिंग के काम आती है। मैनपुरी में इसे एक पारंपरिक कला के रूप में विकसित किया गया है, जिसे अब स्थानीय कारीगरों द्वारा आधुनिक डिजाइनों में बदला जा रहा है।
मैनपुरी जिले में तारकासी (तरकाशी) कला की कारीगरी ने क्षेत्र को न केवल पहचान दिलाई है, बल्कि इसे एक उद्योग का रूप भी दिया है। यह कला पिछले कई सदीयों से यहां के कारीगरों द्वारा की जा रही है। मैनपुरी में इस कला को न केवल संरक्षित किया गया है, बल्कि सरकारी मदद से इसे एक नई ऊँचाई तक पहुँचाया गया है। तरकाशी या तारकासी कला एक प्रकार की धातु की कारीगरी है, जिसमें धातु की पतली तारों से नक्काशी की जाती है और फिर उसे लकड़ी, लकड़ी के बर्तन या अन्य धातु के सामान पर उकेरा जाता है। यह कला मुख्य रूप से सजावट और डिजाइनिंग के काम आती है। मैनपुरी में इसे एक पारंपरिक कला के रूप में विकसित किया गया है, जिसे अब स्थानीय कारीगरों द्वारा आधुनिक डिजाइनों में बदला जा रहा है।