अरावली हिल्स को लेकर विवाद तेज हो गया है। पर्यावरण, राजनीति और समाज से जुड़ा यह मुद्दा दिल्ली-NCR के लिए बड़ा खतरा माना जा रहा है। सोशल मीडिया पर लोग अरावली को बचाने की मांग कर रहे हैं और विकास के नाम पर हो रहे नुकसान पर सवाल उठा रहे हैं।

New Delhi: अरावली हिल्स को लेकर देशभर में एक बार फिर राजनीतिक, पर्यावरणीय और सामाजिक विवाद तेज हो गया है। यह पहाड़ी श्रृंखला दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत शृंखलाओं में से एक मानी जाती है और दिल्ली-NCR के पर्यावरण संतुलन में इसकी भूमिका बेहद अहम है। हाल के दिनों में अरावली क्षेत्र में बढ़ती गतिविधियों, निर्माण कार्य और कथित अवैध खनन को लेकर चिंता गहराती जा रही है, जिस कारण सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर आवाजें बुलंद हो रही हैं।
पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक अरावली हिल्स दिल्ली-NCR के लिए एक प्राकृतिक ढाल की तरह काम करती हैं। यह क्षेत्र रेगिस्तान की रेत को आगे बढ़ने से रोकता है, भूजल स्तर को बनाए रखने में मदद करता है और हवा को शुद्ध रखने में अहम भूमिका निभाता है। लेकिन बीते कुछ वर्षों में यहां जंगलों की कटाई, रियल एस्टेट परियोजनाओं और खनन गतिविधियों में तेजी आई है, जिससे इस पूरे इकोसिस्टम पर गंभीर खतरा मंडराने लगा है।
सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर विकास के नाम पर पर्यावरण से इस तरह का समझौता क्यों किया जा रहा है। कई यूजर्स का कहना है कि अगर अरावली हिल्स को नुकसान पहुंचता रहा, तो इसका सीधा असर दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण, जल संकट और गर्मी की तीव्रता पर पड़ेगा। यही वजह है कि #SaveAravalli जैसे ट्रेंड्स सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं।
राजनीतिक स्तर पर भी यह मुद्दा गरमाया हुआ है। विपक्ष सरकार पर अरावली को बचाने में लापरवाही का आरोप लगा रहा है, जबकि सरकार का कहना है कि सभी परियोजनाएं नियमों और पर्यावरणीय मानकों के तहत ही मंजूर की जा रही हैं। वहीं, सामाजिक संगठनों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि कानूनों में छूट और कमजोर निगरानी के कारण अरावली लगातार सिकुड़ती जा रही है।
New Delhi: अरावली हिल्स को लेकर देशभर में एक बार फिर राजनीतिक, पर्यावरणीय और सामाजिक विवाद तेज हो गया है। यह पहाड़ी श्रृंखला दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत शृंखलाओं में से एक मानी जाती है और दिल्ली-NCR के पर्यावरण संतुलन में इसकी भूमिका बेहद अहम है। हाल के दिनों में अरावली क्षेत्र में बढ़ती गतिविधियों, निर्माण कार्य और कथित अवैध खनन को लेकर चिंता गहराती जा रही है, जिस कारण सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर आवाजें बुलंद हो रही हैं।
पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक अरावली हिल्स दिल्ली-NCR के लिए एक प्राकृतिक ढाल की तरह काम करती हैं। यह क्षेत्र रेगिस्तान की रेत को आगे बढ़ने से रोकता है, भूजल स्तर को बनाए रखने में मदद करता है और हवा को शुद्ध रखने में अहम भूमिका निभाता है। लेकिन बीते कुछ वर्षों में यहां जंगलों की कटाई, रियल एस्टेट परियोजनाओं और खनन गतिविधियों में तेजी आई है, जिससे इस पूरे इकोसिस्टम पर गंभीर खतरा मंडराने लगा है।
सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर विकास के नाम पर पर्यावरण से इस तरह का समझौता क्यों किया जा रहा है। कई यूजर्स का कहना है कि अगर अरावली हिल्स को नुकसान पहुंचता रहा, तो इसका सीधा असर दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण, जल संकट और गर्मी की तीव्रता पर पड़ेगा। यही वजह है कि #SaveAravalli जैसे ट्रेंड्स सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं।
राजनीतिक स्तर पर भी यह मुद्दा गरमाया हुआ है। विपक्ष सरकार पर अरावली को बचाने में लापरवाही का आरोप लगा रहा है, जबकि सरकार का कहना है कि सभी परियोजनाएं नियमों और पर्यावरणीय मानकों के तहत ही मंजूर की जा रही हैं। वहीं, सामाजिक संगठनों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि कानूनों में छूट और कमजोर निगरानी के कारण अरावली लगातार सिकुड़ती जा रही है।