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Uttrakhand News: दीक्षा पाल ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन, अंतरराष्ट्रीय मंच पर ऐसे मिली पहचान

नैनीताल की बेटी दीक्षा पाल नारायण को कनाडा में कला और दक्षिण एशियाई संस्कृति व महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा गया है। उन्होंने नैनीताल से शिक्षा ग्रहण की और अब कनाडा में भारतीय संस्कृति और कला को नई पहचान दिला रही हैं।
Post Published By: Jay Chauhan
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Uttrakhand News: दीक्षा पाल ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन, अंतरराष्ट्रीय मंच पर ऐसे मिली पहचान

नैनीताल: उत्तराखंड के नैनीताल की बेटी दीक्षा पाल नारायण ने विदेश की धरती पर उत्तराखंड और देश का नाम रोशन कर दिया है। कनाडा में उन्हें दक्षिण एशियाई संस्कृति और कला को संजोने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए एक खास सम्मान से नवाजा गया है। यह उपलब्धि न सिर्फ उनके लिए बल्कि पूरे प्रदेश और भारत के लिए गर्व की बात है।

विदेश की धरती पर उत्तराखंड और देश का नाम रोशन

जानकारी के मुताबिक दीक्षा पाल नारायण को कनाडा में  दक्षिण एशियाई संस्कृति और कला को संजोने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए एक खास सम्मान से नवाजा गया है।

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दीक्षा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई नैनीताल के ऑल सेंट्स कॉलेज एमएलएस बाल विद्या मंदिर और डीएसबी कैंपस से पूरी की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के आईआईएमसी से पत्रकारिता की पढ़ाई कर एनडीटीवी में काम किया और फिर विवाह के बाद कनाडा चली गईं। दीक्षा लंबे समय से कनाडा में रह रही हैं और वहीं रहते हुए भारतीय संस्कृति को जीवित रखने का काम कर रही हैं।

उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से वहां भारतीय कला और परंपरा की पहचान बनाई है। वे अलग अलग कार्यक्रमों के जरिये नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से जोड़ने का काम करती हैं। उनका मानना है कि विदेश में रहते हुए अपनी जड़ों को संभालकर रखना आसान नहीं होता लेकिन सच्ची निष्ठा और कोशिश से यह संभव है।

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मिट्टी की खुशबू और परंपराओं को दुनिया तक पहुंचाना

सम्मान मिलने के बाद दीक्षा ने कहा कि यह उपलब्धि सिर्फ उनकी नहीं बल्कि उत्तराखंड और भारत की है। वे चाहती हैं कि आने वाली पीढ़ियां अपनी पहचान और संस्कृति को कभी न भूलें।

उनका यह सफर विदेश में रह रहे उन तमाम युवाओं के लिए एक बड़ी मिसाल है जो अपनी मिट्टी की खुशबू और परंपराओं को दुनिया तक पहुंचाना चाहते हैं। कनाडा में मिला यह सम्मान दीक्षा पाल नारायण को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी मजबूती देता है और उत्तराखंड के लिए यह क्षण गर्व से भरने वाला है।

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नैनीताल की यादें साझा करते हुए दीक्षा ने अपने परिवार और शिक्षकों का आभार जताया। उन्होंने बताया कि छोटे से शहर ने ही उन्हें कला और संस्कृति से जोड़ने की प्रेरणा दी।

उन्होंने प्रो बटरोही से विचारों को खुलकर रखने की सीख पाई प्रो अजय रावत से पर्यावरण और समाज के प्रति जिम्मेदारी समझी एमएलएस बाल विद्या मंदिर की अनुपमा शाह से साहित्य का प्रेम सीखा और ज़हूर आलम से नाट्यकला के जरिए दिल की आवाज को अभिव्यक्त करना जाना।

दीक्षा का कहना है कि यह उपलब्धि उनकी व्यक्तिगत जीत भर नहीं है बल्कि नैनीताल की जड़ों और कनाडा की विविधता का मेल है जिसने उनके काम को नई पहचान दी है।

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