रुद्रप्रयाग: हिमालय की गोद में आस्था का महासंगम, डौणियों खाल कालिंका मेले में उमड़ा सैलाब

पौड़ी और रुद्रप्रयाग की सीमा पर स्थित मां डौणियों खाल कालिंका मंदिर में ऐतिहासिक मेले का आयोजन हुआ। शनिवार को विधिवत पूजा-अर्चना के साथ हजारों श्रद्धालु पहुंचे। मेले में आस्था, लोक संस्कृति और हिमालयी सौंदर्य का अनोखा संगम देखने को मिला।

Post Published By: Nitin Parashar
Updated : 28 December 2025, 5:02 AM IST

Rudraprayag: उत्तराखंड की पहाड़ियों में आस्था, परंपरा और लोक संस्कृति का संगम एक बार फिर देखने को मिला। जब पौड़ी गढ़वाल और रुद्रप्रयाग जनपद की सीमा पर स्थित मां डौणियों खाल कालिंका मंदिर में ऐतिहासिक मेले का आयोजन किया गया। दिसंबर के इस विशेष शनिवार को मां काली के मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा और पूरा क्षेत्र भक्तिमय माहौल में डूबा नजर आया।

सीमाओं के बीच विराजमान ऐतिहासिक शक्तिपीठ

डौणियों खाल कालिंका मंदिर एक ऐसी पावन जगह है। यह पौड़ी गढ़वाल और रुद्रप्रयाग जनपद की सीमाओं के बीच स्थित है। यह स्थान धार और बच्छणस्यू क्षेत्र को जोड़ता है. जहां सालों से दोनों जनपदों के लोग मां काली की पूजा अर्चना करते आ रहे हैं। मंदिर परिसर में स्थित विशाल पाटल क्षेत्र की पहचान मानी जाती है। दोनों जनपदों के बीच आस्था की एक मजबूत कड़ी है।

बलि प्रथा से आस्था के नए स्वरूप तक

प्राचीन समय में इस मंदिर में बलि प्रथा का प्रचलन था। श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर भैंस, बकरा और भेड़ की बलि दिया करते थे। समय के साथ परंपराओं में बदलाव आया और अब पूजा-अर्चना, श्रद्धा और आस्था के माध्यम से मां काली को प्रसन्न किया जाता है। आज भी यह स्थान श्रद्धालुओं की गहरी आस्था का केंद्र बना हुआ है।

पूजा और मेले का माहौल

शनिवार 27 दिसंबर को मंदिर परिसर में पूरे दिन पूजा-अर्चना चलती रही। हजारों की संख्या में श्रद्धालु दूर-दराज और देश-विदेश से मां काली के दर्शन के लिए पहुंचे। भक्त मां काली के रौद्र रूप के दर्शन कर आशीर्वाद लेते नजर आए। मंदिर परिसर में पारंपरिक लोक संस्कृति, अलग-अलग बोली-भाषा, पहनावे और रीति-रिवाजों की झलक साफ दिखाई दी।

Location : 
  • Rudraprayag

Published : 
  • 28 December 2025, 5:02 AM IST