हरिद्वार: शिवालिक नगर की टिहरी विस्थापित कॉलोनी वार्ड नंबर -7 में नगर पालिका की लापरवाही ने आम जनता का जीना मुश्किल कर दिया है। क्षेत्र में महीनों से जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। हाई मास्क लाइटें बंद पड़ी हैं। ऐसे में इलाका नारकीय हालात से गुजर रहा है और अब जनता का गुस्सा सड़कों पर नजर आने लगा है।
डाइनामाइट न्यजू संवाददाता के अनुसार सफाई कर्मचारी वेतन न मिलने के चलते काम छोड़ चुके हैं।
स्थानीय सभासद अमरदीप सिंह ने नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पालिका अध्यक्ष ने डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए एक फर्जी कंपनी को ठेका दिया है, जो समय पर कूड़ा उठाने में नाकाम है। गली में चार-चार दिन तक कचरा पड़ा रहता है, फिर भी ठेकेदार को लाखों रुपये का भुगतान हो रहा है।
अमरदीप सिंह ने अधिशासी अधिकारी को पत्र लिखकर ठेकेदार को 31 लाख रुपये के भुगतान पर रोक लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि जब तक सफाई कर्मचारियों को बकाया वेतन नहीं दिया जाता, ठेकेदार को भुगतान करना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना है।
उधर सफाई कर्मचारियों ने भी साफ कर दिया है कि बिना वेतन के वह काम पर वापस नहीं लौटेंगे। इससे स्थिति और बिगड़ गई है। गलियों में फैली गंदगी से न सिर्फ दुर्गंध बढ़ी है बल्कि डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा भी मंडरा रहा है।
स्थानीय निवासी राजीव कुमार ने बताया कि करीब छह महीने से इलाके की चार हाई मास्क लाइटें बंद पड़ी हैं। रात में अंधेरा छा जाता है जिससे हादसों का डर बना रहता है। कई बार बच्चे और बुजुर्ग अंधेरे में गिरकर चोटिल भी हो चुके हैं।
वार्ड की महिलाओं ने भी प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए चेतावनी दी है कि यदि जल्द हालात नहीं सुधरे तो वह नगर पालिका कार्यालय का घेराव करेंगी। उनका कहना है कि गंदगी और अंधेरे के डर से शाम होते ही घर से निकलना मुश्किल हो गया है।
अब जनता का सीधा सवाल है कि क्या नगर पालिका अध्यक्ष और अधिकारी आंखें मूंदे बैठे रहेंगे या जनता की बुनियादी समस्याओं का समाधान करेंगे।
साफ-सफाई और रोशनी जैसी जरूरी सुविधाएं भी अगर ठेकों और राजनीति की भेंट चढ़ गईं तो जनता का यह गुस्सा बड़ा आंदोलन बन सकता है। वार्ड नंबर 7 की हालत आज पूरे शिवालिक नगर के लिए चेतावनी बन चुकी है।