Uttarakhand Foundation Day: उत्तराखंड स्थापना दिवस पर पहाड़ के लोग आक्रोशित, धरना-प्रदर्शन और आंदोलन, जानिये क्यों?

उत्तराखंड राज्य आज अपनी स्थापना की 25वीं वर्षगांठ मना रहा है। लेकिन राज्य की रजत जयंती के इस खास मौके पर पहाड़ी जनपदों के कुछ हिस्सों में लोग धरना-प्रदर्शन और आंदोलन कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में जानिये पूरा आखिर खुशी के मौके पर क्यों हो रहा है आंदोलन?

Post Published By: Subhash Raturi
Updated : 9 November 2025, 1:48 PM IST
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Karnaprayag (Chamoli): राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत नंवबर 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होकर नये राज्य के रूप में गठित उत्तराखंड आज स्थापना की 25वीं वर्षगांठ मना रहा है। रजत जयंती वर्ष के इस खास मौके पर सरकार द्वारा राज्य में कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। उत्तराखंड के इस सिल्वर जुबली समारोह को यादगार बनाने के लिए देहरादून में भव्य कार्यक्रम आयोजित हो रहा है और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समारोह के मुख्य अतिथि हैं।

राज्य की अस्थायी राजधान देहरादून में जहां राज्य स्थापना पर हर्षोल्लास का माहौल है वहीं राज्य के कुछ पहाड़ी जनपदों के लोगों रजत जयंती पर आक्रोश देखा जा रहा है। गुस्साये लोग आज कुछ क्षेत्रों में सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन और नारेबाजी कर रहे हैं।

क्यों हो रहा है धरना-प्रदर्शन?

सीमांत जनपद चमोली के कर्णप्रयाग में पुराने बस स्टैंड, पीपल के पेड़ के पास धरना-प्रदर्शन हो रहा है। यह प्रदर्शन स्थायी राजधानी गैरसैंण मंच के बैनर तले आयोजित किया जा रहा है। उत्तराखंड सरकार में सचिव रहे पूर्व आईएएस अधिकारी विनोद रतूड़ी के आह्वान पर कर्णप्रयाग में यह धरना-प्रदर्शन हो रहा है, जिसमें शामिल होने के लिये दिल्ली और देहरादून से भी बड़ा संख्या में लोग पहुंचे हैं। इसमें बड़ी संख्या में स्थानिय युवा और महिलाएं भी शामिल हैं।

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उत्तराखंड स्थापना दिवस पर आंदोलन

राज्य स्थापना दिवस

दरअसल, राज्य स्थापना दिवस पर धरना प्रदर्शन कर रहे इन लोगों की मांग है कि गैरसैंण (भराड़ीसैंण) को उत्तराखंड की स्थायी राजधानी घोषित किया जाये। स्थायी राजधानी गैरसैंण मंच के मुख्य संयोजक विनोद रतूड़ी का कहना है कि देश के 27वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आये उत्तराखंड को 25 सालों बाद भी स्थायी राजधानी न मिलना राज्य का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है।

स्थायी राजधानी बनाने की मांग

उन्होंने कहा कि पृथक उत्तराखंड आंदोलन के समय से ही गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग रही है। साल 2004 में गैरसैंण को राजधानी बनाने के लिए 42 दिनों के आंदोलन और अनशन के बाद बाबा मोहन सिंह उत्तराखंडी अपने प्राणों का बलिदान दिया था। बाबा मोहन सिंह उत्तराखंडी समेत उत्तराखंड के उन 42 शहीद आंदोलनकारियों की आत्मा हमें कभी माफ नहीं कर पाएगी, जिन्होंने स्थायी राजधानी उत्तराखंड का सपना अपनी आंखों से देखा था।

उन्होंने कहा कि पहाड़ के लोगों को हमेशा छला गया। अब वक्त है कि गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग को लेकर सभी लोग एकजुट हों। उन्होंने कहा कि इस तरह के धरने-प्रदर्शन और आंदलन तब तक जारी रहेंगे, जब तक सरकार गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित न कर दे।

Location : 
  • Chamoli

Published : 
  • 9 November 2025, 1:48 PM IST