उत्तराखंड में फिर आईएएस अफसर पर गिरी गाज, हरिद्वार भूमि खरीद घोटाले में डीएम सस्पेंड

उत्तराखंड के इतिहास में दूसरी बार किसी जिलाधिकारी पर कार्रवाई हुई है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 3 June 2025, 7:23 PM IST

हरिद्वार:  उत्तराखंड के इतिहास में दूसरी बार किसी जिलाधिकारी पर कार्रवाई हुई है। हरिद्वार भूमि खरीद घोटाले में लापरवाही बरतने के चलते डीएम कर्मेंद्र सिंह को सस्पेंड कर दिया गया है। जांच में दोषी पाए जाने के बाद उन्हें सचिव, कार्मिक एवं सतर्कता विभाग, उत्तराखंड शासन से संबद्ध कर दिया गया है।

क्या है मामला?

2024 में हरिद्वार नगर निगम ने सराय क्षेत्र में 33 बीघा भूमि 58 करोड़ रुपये में खरीदी थी। हैरानी की बात यह थी कि जिस भूमि की कीमत हजारों या लाखों में आंकी जा रही थी, उसे करोड़ों में खरीदा गया। यह भूमि नगर निगम द्वारा कूड़ा डंपिंग क्षेत्र के समीप थी, जिससे इसकी वास्तविक कीमत बहुत कम थी।

भारी भरकम दाम में जमीन खरीदे जाने को लेकर जब सवाल उठे तो जांच शुरू हुई। पहले यह मामला स्थानीय स्तर पर उठा, फिर विपक्ष और आम जनता की आवाज़ के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के संज्ञान में पहुंचा। इसके बाद राज्य सरकार ने जांच के आदेश दिए।

जांच में खुलासा

आईएएस रणवीर सिंह चौहान को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। जांच में प्रथम दृष्टया सात अधिकारियों की लापरवाही और अनियमितता सामने आई। 1 मई को चार अधिकारियों को सस्पेंड किया गया था, जबकि 3 जून को हरिद्वार डीएम कर्मेंद्र सिंह, तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी (आईएएस) और अजयवीर (पीसीएस) को भी निलंबित कर दिया गया।

निलंबित अधिकारियों में प्रमुख नाम शामिल हैं:

  • कर्मेंद्र सिंह (जिला मजिस्ट्रेट और तत्कालीन प्रशासक, हरिद्वार नगर निगम)
  • वरुण चौधरी (तत्कालीन नगर आयुक्त, हरिद्वार नगर निगम)
  • अजयवीर सिंह (तत्कालीन उप जिला मजिस्ट्रेट, हरिद्वार)
  • निकिता बिष्ट (वरिष्ठ वित्त अधिकारी, हरिद्वार नगर निगम)
  • विक्की (वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक)
  • राजेश कुमार (रजिस्ट्रार कानूनगो, तहसील हरिद्वार)
  • कमलदास (मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार)

इस कार्रवाई के तहत इन अधिकारियों पर निलंबन की कार्रवाई की गई है, जो नगर निगम और तहसील में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक कर्तव्यों में लापरवाही के आरोपों के चलते की गई है। इससे पहले, रविंद्र कुमार दयाल (प्रभारी सहायक नगर आयुक्त) को सेवा समाप्त कर दिया गया था, जबकि आनंद सिंह मिश्रावन (प्रभारी अधिशासी अभियंता), लक्ष्मी कांत भट्ट (कर एवं राजस्व अधीक्षक), दिनेश चंद्र कांडपाल (कनिष्ठ अभियंता) और वेदपाल (संपत्ति लिपिक) को भी निलंबित किया गया था।

उत्तराखंड में यह दूसरी बार है जब किसी जिलाधिकारी पर कार्रवाई हुई है। इससे पहले 2002 में पटवारी भर्ती घोटाले के चलते पौड़ी के तत्कालीन डीएम एसके लाम्बा को बर्खास्त किया गया था। यह पहली बार है जब किसी डीएम को सस्पेंड किया गया है। यह मामला उत्तराखंड में प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक बड़ी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है।

Location : 
  • Haridwar

Published : 
  • 3 June 2025, 7:23 PM IST