हरिद्वार: पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार में 31 जुलाई और 1 अगस्त को दो दिवसीय तृतीय राष्ट्रीय स्वर्णशाला प्रतियोगिता का भव्य आयोजन किया जा रहा है। इस प्रतियोगिता में दिल्ली, हरिद्वार, उत्तराखंड, बनारस, वाराणसी, कानपुर सहित देशभर के विभिन्न कोनों से संस्कृत के प्रख्यात विद्वान, शोधार्थी और छात्र भाग लेंगे। इस प्रतियोगिता के माध्यम से पतंजलि विश्वविद्यालय भारतीय संस्कृति और परंपरा को सशक्त मंच प्रदान कर रहा है।
ज्ञान और तर्क से निर्णायक मंडल को प्रभावित
स्वर्णशाला प्रतियोगिता में शास्त्रार्थ, वाक्यार्थ और शास्त्रश्रवण जैसे पारंपरिक विधाओं में प्रतिभागी अपनी विद्वत्ता का परिचय देंगे। आयोजन का उद्देश्य विद्यार्थियों को वैदिक, वेदांत, न्याय, व्याकरण, मीमांसा, साहित्य आदि परंपरागत विषयों में निपुण बनाना और उनमें तर्कशक्ति, संवाद क्षमता एवं वक्तृत्व कला को विकसित करना है। प्रतियोगिता में प्रतिभागी विभिन्न विषयों पर अपने ज्ञान और तर्क से निर्णायक मंडल को प्रभावित करेंगे।
मंडल में देशभर के प्रमुख संस्कृत विश्वविद्यालयों…
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण, पतंजलि योगपीठ के महामंत्री स्वामी रामदेव समेत देश के कई प्रतिष्ठित संस्कृत विद्वान उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शशिभूषण शर्मा करेंगे। तीन चरणों में होने वाली प्रतियोगिता में प्रतिभागियों के बीच वैदिक मंत्रोच्चार, न्याय शास्त्र, मीमांसा शास्त्र, व्याकरण, साहित्य शास्त्र आदि विषयों पर शास्त्रार्थ होगा। निर्णायक मंडल में देशभर के प्रमुख संस्कृत विश्वविद्यालयों से आए प्राध्यापक शामिल होंगे। इस प्रतियोगिता से प्रतिभागियों में संस्कृत अध्ययन के प्रति नई ऊर्जा और जागरूकता उत्पन्न होगी।
शोध और विद्वता को नई दिशा…
विश्वविद्यालय परिसर में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का भी आयोजन होगा, जिसमें विभिन्न विषयों पर शोधपत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र और पुरस्कार भी प्रदान किए जाएंगे। पतंजलि विश्वविद्यालय के अनुसार इस आयोजन से शोध और विद्वता को नई दिशा मिलेगी और युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से जोड़ने में मदद मिलेगी।
प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रमुख विद्वानों में दिल्ली संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वर्द्धन, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश चंद शास्त्री, प्रो. त्रिलोकि, प्रो. आनंदराम ओझा, प्रो. भोलाभाई झा, प्रो. मनोहरलाल आर्य, प्रो. विश्वनाथ प्रवेश, प्रो. सत्यार्थी आर्यनंद, प्रो. मूर्ति कृष्णा, प्रो. मधुसूदन भूषण, डॉ. साध्वी देवीप्रिय, आचार्य चंद्र, डॉ. एमपी सिंह और प्रो. मयंक कुमार आचार्य आदि गणमान्य विद्वानों की गरिमामयी उपस्थिति रहेगी। यह आयोजन पतंजलि विश्वविद्यालय द्वारा भारतीय सांस्कृतिक परंपरा के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

