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Haridwar News: वेतन भुगतान को लेकर आयुर्वेद विश्वविद्यालय में आंदोलन हुआ उग्र, ओपीडी बंद

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में वेतन भुगतान को लेकर लंबे समय से चला आ रहा विवाद अब उग्र रूप ले चुका है। विश्वविद्यालय के ऋषिकुल, गुरुकुल और हर्रावाला परिसरों में शिक्षक, चिकित्सक और कर्मचारी वेतन की मांग को लेकर लगातार आंदोलनरत हैं।
Post Published By: Rohit Goyal
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Haridwar News: वेतन भुगतान को लेकर आयुर्वेद विश्वविद्यालय में आंदोलन हुआ उग्र, ओपीडी बंद

Haridwar: उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में वेतन भुगतान को लेकर लंबे समय से चला आ रहा विवाद अब उग्र रूप ले चुका है। विश्वविद्यालय के ऋषिकुल, गुरुकुल और हर्रावाला परिसरों में शिक्षक, चिकित्सक और कर्मचारी वेतन की मांग को लेकर लगातार आंदोलनरत हैं। गुरुवार को आंदोलन ने और अधिक तीव्र रूप धारण कर लिया जब नाराज चिकित्सकों ने दो घंटे के लिए ओपीडी सेवाएं बंद कर दीं और कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार करते हुए परिसरों के निदेशकों के कार्यालयों में तालाबंदी कर दी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार धरना स्थल पर कुलसचिव प्रो. आर.पी. सिंह पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से बातचीत की। उन्होंने बताया कि शासन स्तर से वेतन मद में बजट आवंटन की अधिसूचना गुरुवार शाम तक जारी की जा सकती है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि भुगतान प्रक्रिया में थोड़ा समय लग सकता है। लेकिन यह आश्वासन प्रदर्शनकारियों को संतुष्ट नहीं कर सका। कर्मचारियों ने शासन से स्थायी समाधान की मांग करते हुए आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया।

प्रदर्शन में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश लाखेड़ा, शाखा अध्यक्ष छत्रपाल सिंह, गुरुकुल शाखा अध्यक्ष ताजबर सिंह नेगी, पूर्व कुलसचिव डॉ. अनूप, डॉ. कीर्ति, डॉ. सीमा जोशी, डॉ. उषा शर्मा, डॉ. संजय त्रिपाठी और डॉ. सुरेश चौबे सहित बड़ी संख्या में शिक्षक, चिकित्सक और कर्मचारी शामिल रहे।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार आंदोलनकारियों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जब तक वेतन भुगतान को लेकर ठोस और स्थायी समाधान नहीं निकलेगा, तब तक उनका विरोध प्रदर्शन और कार्य बहिष्कार जारी रहेगा। विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों में शैक्षणिक और चिकित्सा कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं, जिससे मरीजों और छात्रों को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

डायनामाइट न्यूज़ ने पूर्व में भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था, लेकिन शासन और प्रशासन की लापरवाही के कारण समस्या अब भी जस की तस बनी हुई है। अब देखना होगा कि सरकार इस गंभीर मसले का समाधान कब तक निकालती है।

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