Nainital: कुमाऊं क्षेत्र में साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। ठग लगातार नए-नए तरीके अपनाकर लोगों की मेहनत की कमाई पर हाथ साफ कर रहे हैं। पढ़े-लिखे से लेकर अनपढ़ तक, सभी इस आधुनिक अपराध का शिकार बन रहे हैं। हल्द्वानी सहित पूरे कुमाऊं में साइबर फ्रॉड एक गंभीर चुनौती बन गया है।
स्थानीय भाषा में जागरूकता फैलाने का फैसला
पुलिस अब साइबर ठगी को रोकने के लिए नई रणनीति अपना रही है। आईजी कुमाऊं रिद्धिम अग्रवाल ने जिले के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि कुमाऊंनी और अन्य पहाड़ी भाषाओं में जागरूकता अभियान चलाया जाए। इसके तहत पोस्टर, ऑडियो और वीडियो सामग्री तैयार कर ग्रामीण और दूरदराज के लोगों तक जानकारी पहुंचाई जाएगी।
सोशल मीडिया से भी चल रहा अभियान
पुलिस लगातार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और फेसबुक पेज के जरिए साइबर अपराध के नए-नए तरीकों की जानकारी जनता तक पहुंचा रही है। फिर भी ठग लोगों को झांसे में लेकर लिंक, ओटीपी और पर्सनल जानकारी हासिल कर लाखों की चपत लगा रहे हैं।
बुजुर्ग और रिटायर्ड कर्मचारी बन रहे निशाना
पुलिस के अनुसार, बुजुर्ग और सेवानिवृत्त कर्मचारी साइबर ठगों के आसान शिकार बनते हैं। फोन कॉल, अनजान लिंक, नौकरी का झांसा, फर्जी केवाईसी अपडेट जैसे बहानों से ठग भोले-भाले लोगों को निशाना बना रहे हैं। राजस्थान, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों से साइबर अपराधी सक्रिय हैं, जो कुमाऊं क्षेत्र को टारगेट कर रहे हैं।
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पिथौरागढ़ और चंपावत में भी सामने आए मामले
कई साइबर अपराध के मामले पिथौरागढ़ और चंपावत जैसे दूरस्थ जिलों से भी सामने आ चुके हैं। लोग अब भी इन अपराधों के प्रति पूरी तरह से सतर्क नहीं हैं, जिस वजह से ठगी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
34 करोड़ की ठगी, 40% रिकवरी
पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष कुमाऊं क्षेत्र में नौ से अधिक लोगों के साथ करीब 34 करोड़ रुपये की साइबर ठगी हुई। अच्छी बात यह रही कि पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए करीब 40 प्रतिशत धनराशि की रिकवरी की है। हालांकि, यह खतरा अभी भी बना हुआ है।