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बीजेपी नेता सुरेश राठौड़ को क्यों पार्टी ने दिखाया बाहर का रास्ता, जाने पीछे की वजह

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक सुरेश राठौड़ को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। इसकी क्या वजह है जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर
Post Published By: Rohit Goyal
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बीजेपी नेता सुरेश राठौड़ को क्यों पार्टी ने दिखाया बाहर का रास्ता, जाने पीछे की वजह

देहरादून: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के लागू होने के बाद एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक सुरेश राठौड़ को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। यह कार्रवाई उनके दूसरी शादी के ऐलान के बाद की गई है, जो राज्य में लागू UCC के प्रावधानों का सीधा उल्लंघन है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता से मिली जानकारी के मुताबिक सुरेश राठौड़ भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं और उत्तराखंड की राजनीति में एक सक्रिय चेहरा माने जाते हैं। हाल ही में उन्होंने सार्वजनिक रूप से दूसरी शादी करने का ऐलान किया था, जिसके बाद पार्टी की तरफ से उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। नोटिस का जवाब संतोषजनक न होने पर पार्टी ने उनके खिलाफ यह सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की है।

पार्टी की छवि को नुकसान

बीजेपी प्रदेश नेतृत्व की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सुरेश राठौड़ का आचरण लंबे समय से पार्टी की मर्यादा के विपरीत रहा है। उनके कई अमर्यादित बयान और निजी गतिविधियां मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से सामने आती रही हैं, जिससे पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा है। पार्टी ने स्पष्ट किया है कि राठौड़ की यह गतिविधियां भाजपा की अनुशासनहीनता की सीमा में आती हैं, जिसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

यूनिफॉर्म सिविल कोड

गौरतलब है कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू किया है। इसके अंतर्गत बहुविवाह पर स्पष्ट प्रतिबंध है और दूसरी शादी को अपराध की श्रेणी में रखा गया है, जब तक पहली शादी को कानूनी रूप से समाप्त नहीं किया गया हो।

UCC के सख्त पालन

फिलहाल, सुरेश राठौड़ पार्टी से निष्कासित किए जाने के बाद किसी भी सार्वजनिक प्रतिक्रिया से बचते नजर आ रहे हैं। राजनीतिक हलकों में इस घटनाक्रम को भाजपा की आंतरिक अनुशासन प्रक्रिया को मजबूत करने और UCC के सख्त पालन को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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