विश्व जैव विविधता दिवस: ‘जंगली जानवरों के हिंसक होने की वजह पर्यावरणीय असंतुलन और मानव अतिक्रमण’

मुख्यत्रमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि जब आप पेड़ लगा नहीं सकते तो आपको काटने का भी अधिकार नहीं है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Updated : 22 May 2025, 2:47 PM IST
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के पर पर्यावरण और पारिस्थितिकी को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा- आज का विकास मॉडल हमारे लिए आत्मघाती साबित हो रहा है। तकनीकी प्रगति जरूरी है, लेकिन इसके साथ ही प्राकृतिक तरीकों को अपनाना भी अनिवार्य है। CM ने कहा कि आज जंगली जानवरों के हिंसक होने की वजह पर्यावरणीय असंतुलन और मानव अतिक्रमण है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, गुरुवार को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के पर लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जिस तरह से विकास कर रहे हैं, वह प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहा है, जिसके गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं। आज जंगली जानवर बिना किसी कारण हिंसक नहीं हो रहे। उनके हिंसक होने के पीछे पर्यावरणीय असंतुलन और मानव अतिक्रमण जैसे बड़े कारण हैं। इन पर हमें गंभीरता से विचार करना होगा। तंज कसते हुए सीएम योगी ने कहा- पता नहीं किस बुद्धिमान ने देशी आम, जामुन जैसे जीवनदायी पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी। जब आप पेड़ लगा नहीं सकते तो आपको उन्हें काटने का भी कोई अधिकार नहीं है।

विश्व जैव विविधता दिवस (फाइल फोटो)

विश्व जैव विविधता दिवस (फाइल फोटो)

'प्राचीन काल में हर गांव में खलिहान की भूमि होती थी। लोग खेत में आग नहीं लगाते थे। पराली में आग नहीं लगाते थे। गांव में खाद का खड्ड होता था। कंपोस्ट के रूप में उसका इस्तेमाल होता था। हर गांव में तालाब था। उसे गंदा नहीं करते थे। सुविधा के साथ खड्ड, खलिहान और गोचर जमीन पर कब्जा हो गया। तालाब के पानी को गंदा कर दिया गया। आज इंसेफेलाइटिस जैसे बीमारी हो गई। अपने लिए हमने बीमारी बुला ली।'

सनातन परिवार में शांति पाठ से होती शुरुआत

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा- जैव विविधता के महत्व को भारत से ज्यादा कोई नहीं समझ सकता। सनातन परिवार में मांगलिक कार्य की शुरुआत शांति पाठ से होती है। ये अपने लिए नहीं होता बल्कि पूरे संसार के कल्याण की कामना के साथ मांगलिक कार्य शुरू होता है। उन्होंने कहा कि ये वेद की सूक्ति के साथ शुरू होता है। अगर मनुष्य को जीवित रहना है तो संसार के बारे में सोंचना होगा। वेदों में कहा गया है कि धरती हमारी माता है और हम इसके बेटे हैं। जैव विविधता दिवस के आयोजन का उद्देश्य यही है कि प्रकृति को बचाते हुए सतत विकास को बचाया जाए। हमें विकास का ऐसा मॉडल अपनाना चाहिए जो कि आत्मघाती न हो। प्रकृति और पुरुष का समन्वित रूप ही पर्यावरण है।

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