यूपी के चर्चित बिसाहड़ा लिंचिंग केस में योगी सरकार को मुंह की खानी पड़ी, कोर्ट ने दिया बड़ा झटका, जानें पूरा मामला

बिसाहाड़ा अखलाक लिंचिंग केस में जिला अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। यूपी सरकार की केस वापस लेने की याचिका को कोर्ट ने आधारहीन मानते हुए खारिज कर दिया। अब आरोपियों के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया बिना किसी रुकावट के जारी रहेगी।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 23 December 2025, 10:53 PM IST

Greater Noida: ग्रेटर नोएडा के बहुचर्चित बिसाहाड़ा अखलाक लिंचिंग मामले में अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। सूरजपुर स्थित जिला अदालत ने आरोपियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे को वापस लेने से जुड़ी उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है। इस फैसले के साथ ही मामले में आरोपियों को राहत दिलाने की सभी कोशिशों पर विराम लग गया है। इसके साथ न्यायिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का रास्ता साफ हो गया है।

यूपी सरकार की याचिका पर सुनवाई

इस मामले में यूपी सरकार की ओर से ट्रायल कोर्ट में केस वापस लेने के लिए आवेदन दाखिल किया गया था। मंगलवार को इस याचिका पर अदालत में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने सरकार की मंशा के अनुसार मुकदमा वापस लेने की दलीलें पेश कीं, लेकिन अदालत इन दलीलों से संतुष्ट नहीं हुई। कोर्ट ने माना कि सरकार की ओर से दी गई वजहें कानूनी रूप से मजबूत नहीं हैं।

कोर्ट की सख्त टिप्पणी

अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट शब्दों में कहा कि केस वापस लेने के लिए दाखिल की गई अर्जी में कोई ठोस और वैध कानूनी आधार नहीं है। कोर्ट ने अभियोजन की याचिका को आधारहीन और महत्वहीन मानते हुए खारिज कर दिया। इसके साथ ही यह भी साफ कर दिया गया कि इस आदेश का मुकदमे की नियमित सुनवाई पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और आरोपियों के खिलाफ चल रही न्यायिक प्रक्रिया जारी रहेगी।

न्यायिक प्रक्रिया जारी रहने का संदेश

अदालत के इस फैसले से यह संदेश गया है कि गंभीर आपराधिक मामलों में केवल प्रशासनिक या राजनीतिक निर्णय के आधार पर मुकदमा वापस नहीं लिया जा सकता। कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि कानून के तहत साक्ष्यों और तथ्यों के आधार पर ही मामले का निपटारा होगा। इससे पीड़ित परिवार और समाज के एक बड़े वर्ग में न्याय को लेकर विश्वास मजबूत हुआ है।

देशभर में चर्चित रहा मामला

बिसाहाड़ा अखलाक हत्याकांड देशभर में लंबे समय तक चर्चा का विषय बना रहा था। इस घटना को लेकर सामाजिक, राजनीतिक और कानूनी स्तर पर तीखी बहस हुई थी। मामले ने देश में कानून व्यवस्था, भीड़ हिंसा और सामाजिक सौहार्द जैसे मुद्दों को लेकर व्यापक बहस को जन्म दिया। ऐसे में सरकार द्वारा केस वापस लेने की कोशिश को अदालत का खारिज करना काफी अहम माना जा रहा है।

अखलाक हत्याकांड का पूरा घटना

28 सितंबर 2015 की रात करीब 10 बजे उत्तर प्रदेश के दादरी के पास स्थित बिसाहड़ा गांव में यह दर्दनाक घटना हुई थी। आरोप है कि गांव में कुछ दिन पहले एक गाय का बछड़ा गायब हुआ था। इसी को लेकर अफवाह फैली कि मोहम्मद अखलाक के परिवार ने बछड़े को काटकर उसका मांस खाया है। इस आरोप के बाद गांव में भीड़ इकट्ठा हो गई और हालात तेजी से बिगड़ गए। गुस्साई भीड़ ने अखलाक पर हमला कर दिया, जिसमें उनकी मौत हो गई।

आरोपी और कानूनी स्थिति

अखलाक की हत्या के मामले में कुल 19 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें स्थानीय बीजेपी नेता के बेटे विशाल राणा और उसका सगा शिवम भी शामिल हैं। पुलिस ने इन सभी के खिलाफ हत्या, दंगा, धमकी समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। एफआईआर के बाद से ही कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है। अक्टूबर 2025 में यूपी सरकार ने आरोप वापस लेने के लिए आवेदन दिया था, जिसे अब अदालत ने खारिज कर दिया है।

Location : 
  • Noida

Published : 
  • 23 December 2025, 10:53 PM IST