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UP: चुनाव में खर्च का ब्योरा न देने पर यूपी चुनाव आयोग ने 127 दलों को जारी किया नोटिस

उत्तर प्रदेश के राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनावी खर्च का ब्योरा न देने के कारण 127 राजनीतिक दलों को नोटिस जारी किया है। इनमें आजाद समाज पार्टी सहित अन्य दल भी शामिल हैं। आयोग ने इन दलों से 15 दिन के भीतर कारण बताने को कहा है।
Post Published By: सौम्या सिंह
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UP: चुनाव में खर्च का ब्योरा न देने पर यूपी चुनाव आयोग ने 127 दलों को जारी किया नोटिस

Lucknow: उत्तर प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बाद अपने चुनावी खर्च का ब्योरा न देने के कारण राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेश के 127 राजनीतिक दलों को नोटिस जारी किया है। इन दलों में आजाद समाज पार्टी सहित विभिन्न प्रमुख दल शामिल हैं। आयोग ने इन दलों से पूछा है कि वे 2019 के बाद हुए लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अपने चुनावी खर्च का विवरण क्यों नहीं प्रस्तुत कर रहे हैं।

चुनाव के बाद 90 दिनों के भीतर ब्योरा प्रस्तुत करना आवश्यक

राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किए गए नोटिस के मुताबिक, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत यह अनिवार्य है कि राजनीतिक दल अपने चुनावी खर्च का ब्योरा निर्वाचन के बाद निर्धारित समयसीमा में आयोग को दें। विधानसभा चुनाव के बाद 75 दिनों के भीतर और लोकसभा चुनाव के बाद 90 दिनों के भीतर यह ब्योरा प्रस्तुत करना आवश्यक होता है।

राजनीतिक दलों को नोटिस जारी

आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि इन 127 दलों द्वारा इस संबंध में कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इन दलों को कारण बताओ नोटिस जारी कर उन्हें 15 दिन के भीतर जवाब देने के लिए कहा गया है।

संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर होगी कानूनी कार्रवाई

इसके साथ ही आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि राजनीतिक दलों को किसी भी तरह के चुनावी खर्च का ब्योरा देने में विफल होने पर चुनावी प्रक्रिया और नियमों की गंभीर अवहेलना मानी जाएगी। उत्तर प्रदेश में इन 127 दलों में कई छोटे और क्षेत्रीय दल शामिल हैं, जिनका विधानसभा और लोकसभा चुनावों में अहम योगदान रहा है।

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आयोग ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि चुनावी खर्च में पारदर्शिता बनाए रखना लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी है और इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी दल नियमों का पालन करें और सार्वजनिक धन का दुरुपयोग न हो।

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यह नोटिस राज्य निर्वाचन आयोग के चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और ईमानदारी को बनाए रखने के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण कदम है। अगर ये दल इस नोटिस का सही तरीके से जवाब नहीं देते हैं तो आयोग इन दलों पर आवश्यक कानूनी कार्रवाई कर सकता है।

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