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लाखों की लागत से बना कूड़ा घर बना शोपीस, बाहर ही फेंका जा रहा कचरा, ग्रामीणों ने जताया विरोध

महराजगंज मे लाखों की लागत से बना कूड़ा घर इन दिनों शोपीस बन गया हैं। लाखों की लागत से बना कूड़ा घर बना शोपीस
Post Published By: Rohit Goyal
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लाखों की लागत से बना कूड़ा घर बना शोपीस, बाहर ही फेंका जा रहा कचरा, ग्रामीणों ने जताया विरोध

महराजगंज: जनपद के धानी ब्लॉक क्षेत्र के ढोडघाट टोला में स्थित कूड़ा घर की वास्तविकता शासन की ‘स्वच्छ भारत’ योजनाओं पर सवाल खड़े कर रही है। लाखों रुपए की लागत से बना ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र (कूड़ा घर) आज केवल एक शोपीस बनकर रह गया है। स्थिति यह है कि कूड़ा घर में कचरा न डालकर उसके आसपास — आंगनबाड़ी केंद्र और अमृत सरोवर के पास खुले में कूड़ा फेंका जा रहा है।

खंडहर बना आंगनबाड़ी केंद्र, आस्था स्थल बना कूड़ा स्थल

ढोडघाट टोला में करीब 10 वर्ष पूर्व बना आंगनबाड़ी केंद्र, जो आज तक संचालित नहीं हो सका, पहले ही जर्जर हालत में है। इस केंद्र के ठीक पीछे स्थित अमृत सरोवर, जहाँ महिलाएं छठ पर्व जैसे धार्मिक आयोजन करती हैं, अब खुले में डाले जा रहे कूड़े से घिरता जा रहा है।

ग्रामीणों ने बताया कि संचालित कूड़ा घर होते हुए भी पंचायत द्वारा कचरे को वहां न डालकर बाहर सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर डंप किया जा रहा है। इससे एक ओर पर्यावरण दूषित हो रहा है, तो दूसरी ओर बीमारी और संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है।

ग्रामीणों का आरोप: विरोध करने पर मिलती है धमकी

ग्रामीणों में रामदेव, गोलू, मंगरु, सूरज कुमार, नाटे, संदीप, शांति देवी, रेशमा, बिंदु समेत कई लोगों ने बताया कि जब उन्होंने इस कृत्य का विरोध किया तो ग्राम प्रधान ने अपने पद और पहुंच का रौब दिखाते हुए उन्हें धमकाने का प्रयास किया।

ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा 

“कूड़ा घर होते हुए भी अगर कचरा घरों के पास फेंका जाएगा, तो हम आंदोलन करने को मजबूर होंगे। हमारे बच्चों और परिवार की सेहत से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं है।”

 प्रशासनिक लापरवाही: बीडीओ का फोन तक नहीं उठा

इस गंभीर विषय पर जब संवाददाता द्वारा कार्यवाहक खंड विकास अधिकारी, धानी ब्लॉक से संपर्क साधने का प्रयास किया गया, तो उन्होंने फोन उठाना तक उचित नहीं समझा। इससे ग्रामीणों का रोष और अधिक बढ़ गया है। ग्रामीणों ने चेतावनी देते हुए कहा “अगर समस्या का शीघ्र समाधान नहीं किया गया तो हम लोग पूरे गांव के साथ सड़क पर उतरेंगे, और इसका पूरा ज़िम्मा प्रशासन और ग्राम पंचायत पर होगा।”

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