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रायबरेली में खूंखार जानवरों का आतंक, दहशत में गांव वाले; खेतों को छोड़ने को हुए मजबूर

जिले के सरेनी थाना क्षेत्र के सोमवंशी खेड़ा मजरे भोजपुर गांव में बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है, जिससे ग्रामीण और किसान काफी परेशान हैं। यहां लाल बंदरों का एक बड़ा झुंड है, जो न सिर्फ खेतों की फसल को नष्ट कर रहा है, बल्कि लोगों पर भी हमला कर रहा है। स्थानीय किसानों का कहना है कि बंदरों के हमलों के कारण वे अपने खेतों को छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।
Post Published By: Poonam Rajput
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रायबरेली में खूंखार जानवरों का आतंक, दहशत में गांव वाले; खेतों को छोड़ने को हुए मजबूर

Raebareli: जिले के सरेनी थाना क्षेत्र के सोमवंशी खेड़ा मजरे भोजपुर गांव में बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है, जिससे ग्रामीण और किसान काफी परेशान हैं। यहां लाल बंदरों का एक बड़ा झुंड है, जो न सिर्फ खेतों की फसल को नष्ट कर रहा है, बल्कि लोगों पर भी हमला कर रहा है। स्थानीय किसानों का कहना है कि बंदरों के हमलों के कारण वे अपने खेतों को छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। जब भी वे कोई फसल बोते हैं, लाल बंदर उसे क्षतिग्रस्त कर देते हैं, जिससे किसानों की आजीविका बुरी तरह प्रभावित हो रही है।

क्या है पूरा मामला? 

ग्रामीण बताते हैं कि गांव में करीब 3000 से अधिक बंदर हैं, जो लगातार उत्पात मचा रहे हैं। इन बंदरों की वजह से अब तक सैकड़ों लोग घायल हो चुके हैं। खासतौर पर छोटे-छोटे बच्चों के लिए ये बंदर खतरनाक साबित हो रहे हैं। बच्चों के साथ ही बुजुर्ग और महिलाएं भी बंदरों के हमले से दहशत में हैं। ग्रामीणों ने कई बार वन विभाग और जिला प्रशासन से शिकायत की है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।

अधिकारी तो गांव आकर फोटोज़ खींच लेते हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। इस लचर व्यवस्था से लोग काफी निराश हैं। बंदरों के हमले का खौफ इतना बढ़ चुका है कि ग्रामीण अब पलायन करने की धमकी देने लगे हैं। उन्होंने साफ कहा है कि यदि जल्द ही बंदरों की समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो वे ब्लॉक, तहसील और जिला मुख्यालय में धरना-प्रदर्शन करेंगे।

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इस पूरे मामले में प्रशासन की उदासीनता सवालों के घेरे में आ गई है। गांव में बंदरों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है, और लोग हर दिन इसके खौफ के साथ जी रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि जिला प्रशासन इस गंभीर समस्या को कितनी जल्दी संज्ञान में लेकर प्रभावी कदम उठाता है। फिलहाल, बंदरों के आतंक के बीच ग्रामीणों का जीवन संकट में है और उनके आंसू सूखने का नाम नहीं ले रहे हैं।

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