Sonbhadra News: ओबरा इंटर कॉलेज का निजीकरण बना विवाद का कारण, छात्रों की शिक्षा पर संकट

यूपी के सोनभद्र जनपद के ओबरा इंटरमीडिएट कॉलेज का निजीकरण क्षेत्रीय छात्रों और अभिभावकों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। पढे़ं डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी खबर

Updated : 17 June 2025, 1:25 PM IST
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सोनभद्र: उत्तर प्रदेश के ओबरा इंटरमीडिएट कॉलेज का निजीकरण क्षेत्रीय छात्रों और अभिभावकों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। कॉलेज प्रशासन द्वारा इस शैक्षणिक संस्थान का संचालन डीएवी संस्था को सौंपने के बाद इलाके में विरोध की लहर फैल गई है। निजी हाथों में संचालन जाने के बाद कॉलेज की फीस में अचानक अत्यधिक वृद्धि हो गई है, जिससे गरीब और आदिवासी परिवारों के लिए अपने बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो गया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यह इंटर कॉलेज वर्ष 1964 में हाई स्कूल के रूप में शुरू हुआ था और 1968 में इसे इंटर कॉलेज का दर्जा मिला। तब से यह संस्थान ओबरा क्षेत्र के लगभग 40 से 42 गांवों के छात्रों के लिए शिक्षा का प्रमुख केंद्र रहा है। गुड़गांव, चकारी, परसोई, खैराही, बैकपुर, नवा टोला, नेवारी जैसे दर्जनों गांवों के छात्र यहीं से पढ़ाई कर आगे बढ़े हैं। कॉलेज ने कई आईएएस, पीसीएस और अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी तैयार किए हैं।

गरीब छात्रों की पढ़ाई पर लटका खतरा

पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य अमरनाथ उजाला ने कहा, यह कॉलेज हमेशा गरीब, मजदूर और आदिवासी छात्रों की आशा का केंद्र रहा है। निजीकरण के बाद बढ़ी फीस ने इन छात्रों के सपनों को कुचल दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि स्थानीय लोग लगातार विरोध कर रहे हैं और एसडीएम, तहसीलदार, राज्य मंत्री संजीव गौड़, एमएलसी आशुतोष सिन्हा और यहां तक कि ओबरा विधायक को भी ज्ञापन सौंपा गया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

Obra Inter College Privatization Controversy

जनप्रतिनिधियों को सौंपे गए ज्ञापन

राज्य सरकार पर शिक्षा के व्यवसायीकरण का आरोप

उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य आशुतोष सिन्हा ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है। उन्होंने बताया कि कॉलेज के विकास में 2011-12 के दौरान करोड़ों रुपये खर्च किए गए थे और यह शिक्षा संस्थान गरीबों के लिए बनाया गया था। सिन्हा ने कहा, वर्तमान सरकार इसे बेचने पर तुली हुई है। हमने इसे विधान परिषद में भी उठाया है, लेकिन सरकार की प्राथमिकता शिक्षा नहीं, उसका निजीकरण है।

ओबरा कॉलेज विवाद बना राजनीतिक मुद्दा

बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ता चंद्रकान्त राव ने बताया कि दो बार आशुतोष सिन्हा को ज्ञापन सौंपा गया और सदन में मुद्दा भी उठाया गया, पर कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, एससी, एसटी, ओबीसी समुदाय के बच्चों के पास अब शिक्षा की सुविधा नहीं बची। अगर जल्द हल नहीं निकला तो हम बड़े जन आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

फीस वृद्धि से अभिभावक परेशान

स्थानीय लोगों के विरोध के कारण अब कॉलेज के बोर्ड से डीएवी संस्था का नाम भी हटा दिया गया है, लेकिन संचालन अब भी उसी के हाथ में है। अभिभावकों की मांग है कि कॉलेज को पुनः सार्वजनिक नियंत्रण में लाया जाए ताकि गरीब और ग्रामीण क्षेत्र के छात्र सुलभ शिक्षा से वंचित न हों।

इस पूरे विवाद ने एक बार फिर शिक्षा के निजीकरण और गरीब वर्ग की पहुंच पर गहरी बहस खड़ी कर दी है।

Location : 
  • Sonbhadra

Published : 
  • 17 June 2025, 1:25 PM IST