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संभल दंगा: न्यायिक समिति की रिपोर्ट सीएम योगी को सौंपी, जनसांख्यिकी और मंदिर-मस्जिद विवाद पर सनसनीखेज खुलासे

संभल दंगे पर गठित न्यायिक समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 450 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में जनसंख्या में भारी बदलाव, हरिहर मंदिर का ऐतिहासिक अस्तित्व और तुष्टिकरण की राजनीति को दंगों का कारण बताया गया है।
Post Published By: Asmita Patel
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संभल दंगा: न्यायिक समिति की रिपोर्ट सीएम योगी को सौंपी, जनसांख्यिकी और मंदिर-मस्जिद विवाद पर सनसनीखेज खुलासे

Sambhal: संभल में नवंबर 2024 में हुए दंगे के बाद गठित न्यायिक समिति ने मुख्यमंत्री को 28 अगस्त 2025 को अपनी 450 पृष्ठीय रिपोर्ट सौंप दी। रिपोर्ट में जनसांख्यिकी में हुए बदलाव, हरिहर मंदिर का ऐतिहासिक अस्तित्व और शाही जामा मस्जिद के संबंध में महत्वपूर्ण खुलासे शामिल हैं।

कमेटी में शामिल हुए तीन जिम्मेदार हस्ताक्षर

• न्यायिक समिति की अध्यक्षता में वरिष्ठ अधिकारियों की टीम बनाई गई थी, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा, रिटायर्ड IAS अमित मोहन और रिटायर्ड IPS अरविंद कुमार जैन शामिल थे।
• रिपोर्ट 28 अगस्त 2025 (गुरुवार) को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी गई। इसमें कुल मिलाकर 450 पृष्ठों में संवेदनशील और संवैधानिक रूप से महत्वपूर्ण विवरण शामिल हैं।

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1947 की तुलना में हिंदू आबादी में गिरावट

रिपोर्ट में जनसंख्या और डेमोग्राफिक संरचना के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। 1947 में हिंदू आबादी का हिस्सा लगभग 45% था, जो अब घटकर 15–20% तक पहुंच गया है। रिपोर्ट के अनुसार यह गिरावट सिर्फ प्राकृतिक वृद्धि के अंतर से नहीं, बल्कि दंगों और तुष्टिकरण राजनीति के लंबे समय तक जारी प्रभाव का नतीजा है।

धार्मिक नगरी में मंदिर-मस्जिद विवाद

रिपोर्ट में धार्मिक स्थलों की ऐतिहासिक पहचान को लेकर भी संवेदनशील तथ्यों का जिक्र है।
• हरिहर मंदिर का ऐतिहासिक अस्तित्व रिपोर्ट में प्रमाणित किया गया है, जिसे स्थानीय और ऐतिहासिक दस्तावेजों के आधार पर पुष्ट किया गया।
• शाही जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर विवाद पर रिपोर्ट ने प्राचीन भूमि मतभेद और धार्मिक संघर्ष की पृष्ठभूमि को स्पष्ट किया है।
यह खुलासा सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, क्योंकि संभल में धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान पर वर्षों से संघर्ष और विवाद चले आ रहे हैं।

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पिछली घटनाओं का महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ीकरण

रिपोर्ट सिर्फ 24 नवंबर 2024 की हिंसा को दर्ज नहीं कर रही, बल्कि पूर्ववर्ती दंगों, उनके पैटर्न और दिमागी रवैये को भी दस्तावेज़ी रूप में पेश करती है। घटना के दौरान क्या हुआ, कहां, कैसे, कौन शामिल था, क्षति कितना हुई, इन सबका विस्तार से विवरण रिपोर्ट में मौजूद है।

भूमिका में रहे न्यायी सदस्यों की जिम्मेदारी

• जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा ने रिपोर्ट में निष्पक्षता बनाए रखी और कानूनी दृष्टिकोण से दंगों का विश्लेषण किया।
• रिटायर्ड IAS अमित मोहन ने प्रशासनिक विफलताओं और सरकारी जवाबदेही का खाका प्रस्तुत किया।
• रिटायर्ड IPS अरविंद कुमार जैन ने सुरक्षा और पुलिस कार्यवाही का ग्राफ तैयार किया।
इनकी संयुक्त रिपोर्ट संवैधानिक, प्रशासनिक और सामाजिक कारणों का एक संपूर्ण विश्लेषण प्रस्तुत करती है।

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