सहारनपुर के थाना बेहट क्षेत्र में नाबालिग से छेड़छाड़ के मामले में माननीय न्यायालय ने अभियुक्त को 3 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। DIG अभिषेक सिंह के कड़े निर्देशों और पुलिस की प्रभावी पैरवी के चलते करीब छह साल पुराने मामले में पीड़िता को न्याय मिला।

थाना बेहट (Img: Google)
Saharanpur: सहारनपुर जिले के थाना बेहट क्षेत्र से एक अहम न्यायिक फैसला सामने आया है, जहां नाबालिग युवती के साथ छेड़छाड़ और मारपीट के मामले में अभियुक्त को दोषी ठहराते हुए माननीय न्यायालय ने तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, अभियुक्त पर 10 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है। यह फैसला पुलिस की सशक्त विवेचना और न्यायालय में की गई प्रभावी पैरवी का परिणाम माना जा रहा है।
यह कार्रवाई पुलिस उपमहानिरीक्षक सहारनपुर परिक्षेत्र DIG अभिषेक सिंह के कड़े रुख और सतत निगरानी का नतीजा है। उनके निर्देशन में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आशीष तिवारी और पुलिस अधीक्षक देहात सागर जैन द्वारा मामलों की नियमित समीक्षा की जा रही है, जिससे अपराधियों को सजा दिलाने की प्रक्रिया को मजबूती मिल रही है।
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जानकारी के अनुसार, वर्ष 2019 में इंतजार पुत्र हयात अली, निवासी मोहल्ला इन्द्रा कॉलोनी, कस्बा व थाना बेहट द्वारा एक नाबालिग लड़की के साथ जबरदस्ती छेड़छाड़ और मारपीट की घटना को अंजाम दिया गया था। इस संबंध में पीड़िता के परिजनों की शिकायत पर थाना बेहट में 3 अगस्त 2019 को अभियुक्त के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 452, 323, 354 और पोक्सो एक्ट की धारा 7/8 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अभियुक्त को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
लगभग छह वर्षों तक चले इस मुकदमे की सुनवाई के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, कक्ष संख्या-14 की अदालत ने अभियुक्त इंतजार को धारा 452 और 354 के अंतर्गत दोषी करार दिया। न्यायालय ने उसे तीन साल का कारावास और 10 हजार रुपये का जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई। हालांकि, पोक्सो की अन्य धाराओं में अभियुक्त को दोषमुक्त किया गया, लेकिन सजा ने यह स्पष्ट कर दिया कि महिलाओं और नाबालिगों के खिलाफ अपराध किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
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इस मामले में थाना बेहट प्रभारी सतपाल सिंह भाटी के कुशल नेतृत्व में पेरोकार और कांस्टेबल रवि कुमार द्वारा न्यायालय में की गई मजबूत और सतत पैरवी की अहम भूमिका रही। वहीं, अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी मेघराज सैनी ने प्रभावी ढंग से पक्ष रखा। विवेचना के दौरान उपनिरीक्षक विनित चौधरी की भूमिका भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इसके अलावा, मॉनिटरिंग सेल की नियमित समीक्षा और पैरवी को भी सराहनीय बताया गया है।