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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बड़ा घोटाला, महोबा के किसानों के हक पर डाका

महोबा के मुरैनी गांव में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 54 लाख रुपये का घोटाला सामने आया है। किसानों का आरोप है कि कृषि विभाग और बीमा कंपनी की मिलीभगत से फर्जी कब्जा करके बीमा राशि हड़पी गई।
Post Published By: Tanya Chand
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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बड़ा घोटाला, महोबा के किसानों के हक पर डाका

Mahoba: बुंदेलखंड के महोबा जनपद में किसान पहले से ही दैवीय आपदाओं की मार झेल रहे हैं, वहीं अब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बड़े घोटाले ने उनकी कमर तोड़ दी है। किसानों की आय दोगुनी करने और आपदाओं में फसल नष्ट होने पर नुकसान की भरपाई का दावा करने वाली इस योजना में विभागीय मिलीभगत से भारी धांधली सामने आई है।

कैसे हड़पी बीमा राशि ?

बता दें कि सदर तहसील के मुरैनी गांव के 167 किसानों की 153 हेक्टेयर कृषि भूमि पर 42 अज्ञात लोगों ने फर्जी तरीके से कब्जा जमाकर बीमा राशि हड़प ली। आरोप है कि कृषि विभाग और बीमा कंपनी की सांठगांठ से 54 लाख रुपये की बीमा राशि का गबन किया गया। हैरानी की बात यह है कि गांव में वास्तविक रूप से 153 हेक्टेयर भूमि है, जबकि बीमा चोरों और दलालों ने नदी, तालाब और रास्तों को भी कृषि भूमि दिखाकर 159.6 हेक्टेयर दर्ज करा दिया और उसी आधार पर बीमा क्लेम निकाल लिया। इससे किसानों के हक पर सीधा डाका डाला गया।

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किसानों का प्रदर्शन तेज

कृषि अधिकारी रामसजीवन की तहरीर पर इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस निखिल चतुर्वेदी के बीमा कंपनी के जिला प्रबंधक के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो चुका है, लेकिन किसानों का गुस्सा शांत नहीं हुआ है। उनका कहना है कि अभी तक अन्य आरोपियों के चेहरे उजागर नहीं हुए और न ही उनकी गिरफ्तारी हुई है। किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

क्या बोले गांव के किसान ?

गांव के किसानों का कहना है कि जब सिर्फ एक गांव मुरैनी में ही 54 लाख रुपये का घोटाला हो गया तो पूरे जिले में इस योजना के नाम पर कितना बड़ा भ्रष्टाचार हुआ होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। किसानों ने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि दोषियों की तुरंत गिरफ्तारी हो, बीमा राशि की भरपाई किसानों को दी जाए और इस तरह की धांधली पर अंकुश लगाया जाए।

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों की सुरक्षा कवच बनने के बजाय धोखाधड़ी का जरिया बनती नजर आ रही है। महोबा के किसान अब न्याय और अपने हक की लड़ाई को लेकर दृढ़ संकल्पित हैं।

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