महराजगंज के धानी स्थित सेठ तिलोकी राम इंटर कॉलेज पर मुख्यमंत्री के स्कूल बंद रखने के आदेशों की अनदेखी का आरोप है। कड़ाके की ठंड और शीतलहर के बावजूद कॉलेज खुला रहने से अभिभावकों में आक्रोश है। बच्चों की सेहत से खिलवाड़ और प्रशासन की चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

कड़ाके की ठंड में भी खुला स्कूल
Maharajganj: महराजगंज जनपद के धानी ब्लॉक में स्थित सेठ तिलोकी राम इंटर कॉलेज एक बार फिर सुर्खियों में है। प्रदेश में भीषण ठंड, शीतलहर और घने कोहरे के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी सरकारी और निजी विद्यालयों को 1 जनवरी 2026 तक बंद रखने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इन आदेशों का मकसद बच्चों को ठंड से होने वाली बीमारियों से सुरक्षित रखना है। लेकिन सेठ तिलोकी राम इंटर कॉलेज में इन निर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
स्थानीय ग्रामीणों और अभिभावकों का आरोप है कि जब तापमान लगातार गिर रहा है और सुबह के समय कोहरा जानलेवा साबित हो सकता है, तब भी कॉलेज प्रबंधन नियमित रूप से कक्षाएं संचालित कर रहा है। ग्राम सभा कानापार समेत आसपास के गांवों के लोगों का कहना है कि छोटे-छोटे बच्चों को ठंड में स्कूल भेजना उनके स्वास्थ्य के साथ सीधा खिलवाड़ है।
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मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया था कि आदेशों की अनदेखी करने वाले विद्यालयों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद कॉलेज प्रशासन पर इन निर्देशों का कोई असर दिखाई नहीं दे रहा। इससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या इस कॉलेज को शिक्षा विभाग या जिला प्रशासन का कोई संरक्षण प्राप्त है, या फिर लापरवाही को नजरअंदाज किया जा रहा है।
अभिभावकों का कहना है कि शासन जहां एक ओर ठंड से बचाव के लिए अलाव, रैन बसेरे और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत कर रहा है, वहीं यह कॉलेज बच्चों को जबरन स्कूल बुलाकर उनकी जान जोखिम में डाल रहा है। ठंड में बच्चों को खांसी, बुखार, सांस संबंधी समस्याएं और निमोनिया जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
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इस गंभीर मामले में अब तक न तो शिक्षा विभाग की ओर से कोई कार्रवाई हुई है और न ही जिला प्रशासन की कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया सामने आई है। प्रशासन की यह चुप्पी आम जनता के बीच कई सवाल खड़े कर रही है। लोगों का कहना है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो भविष्य में अन्य स्कूल भी आदेशों की अवहेलना करने से नहीं डरेंगे।
ग्रामीणों और अभिभावकों ने जिलाधिकारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी और माध्यमिक शिक्षा विभाग से मांग की है कि मामले की तत्काल जांच कर दोषी कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। उनका कहना है कि बच्चों की सुरक्षा से बड़ा कोई मुद्दा नहीं हो सकता और सरकारी आदेशों का पालन हर हाल में होना चाहिए।