Maharajganj: उत्तर प्रदेश के महराजगंज के अंतर्गत बरगदवा थाना क्षेत्र के देवघट्टी टोला हरखपुरा में शुक्रवार दोपहर एक बार फिर सिंचाई विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई। जहां करीब 11:30 बजे मजार के सामने महाव नाला का पूर्वी तटबंध अचानक टूट गया। करीब 10 मीटर लंबा हिस्सा ढह जाने से आसपास के खेतों में पानी भर गया है। इस हादसे के कारण किसानों की कई एकड़ धान की खड़ी फसलें बर्बादी के कगार पर पहुंच गई हैं।
मरम्मत के नाम पर करोड़ों का खर्च
ग्रामीणों के अनुसार, यह वही महाव नाला है जो हर साल सुर्खियों में रहता है। मरम्मत और देखभाल के नाम पर विभाग करोड़ों रुपये खर्च करता है, लेकिन बरसात आते ही यह बंधा टूट जाता है। पिछले कई वर्षों से यही स्थिति देखने को मिल रही है, जिससे किसानों में भारी नाराजगी व्याप्त है। किसानों का कहना है कि सिंचाई विभाग केवल खानापूरी करता है और असली समस्या की ओर ध्यान नहीं देता। यही कारण है कि हर बार उनकी मेहनत पर पानी फिर जाता है।
महराजगंज: बरगदवा थाना क्षेत्र में देवघट्टी टोला हरखपुरा के पास शुक्रवार को सिंचाई विभाग की लापरवाही से महाव नाला का तटबंध टूट गया। घटना से किसानों की कई एकड़ धान की फसल डूबने की कगार पर है।#maharajganjnews #MahavNala #Corruption pic.twitter.com/YvXYjq7Epl
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) August 22, 2025
कर्ज में डूबे किसान सबसे ज्यादा परेशान
इस प्राकृतिक और प्रशासनिक हादसे से सबसे अधिक प्रभावित वे किसान हैं, जिन्होंने कर्ज लेकर धान की खेती की थी। अब उनकी फसलें जलमग्न हो चुकी हैं और आर्थिक संकट और गहरा हो गया है। किसानों ने शासन से राहत पैकेज की मांग की है और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग उठाई है।
पहले भी हो चुकी है जान की क्षति
गौर करने वाली बात यह भी है कि कुछ दिन पहले इसी नाले की मरम्मत के दौरान एक मजदूर की मौत हो गई थी। उस समय भी विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे थे, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अब तटबंध टूटने से यह स्पष्ट हो गया है कि विभाग में न सिर्फ लापरवाही है, बल्कि भ्रष्टाचार भी गहराई तक फैला है।
प्रशासन और ग्रामीण आमने-सामने
बरगदवा थानाध्यक्ष ने बंधा टूटने की पुष्टि करते हुए बताया कि वे स्वयं मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लेंगे। वहीं, ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही बंधे की मरम्मत नहीं कराई गई और स्थायी समाधान नहीं निकाला गया, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

