Lucknow: सावन का महीना और नागपंचमी जैसे त्योहार जहां धार्मिक आस्था से जुड़े होते हैं, वहीं ये समय सांपों के निकलने का मौसम भी होता है। बारिश के कारण सांप अक्सर अपने बिलों से बाहर निकल आते हैं और कई बार ये आम लोगों के लिए जानलेवा साबित हो जाते हैं। दुखद घटनाएं आम होती जा रही हैं और इन्हीं कारणों को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने सांप के काटने को ‘राज्य अधिसूचित आपदा’ घोषित कर रखा है।
सूत्रों के अनुसार, सांप ही नहीं, बल्कि तेंदुआ, हाथी, बाघ, मगरमच्छ, लोमड़ी, सियार और मधुमक्खियों के हमले को भी इस लिस्ट में शामिल किया गया है। सरकार ने हाल ही में एक अहम फैसला लिया है कि इन जानवरों या आपदाओं (जैसे बिजली गिरना, हीटवेव, तूफान, डूबना आदि) से यदि किसी की जान जाती है, तो उसके परिजनों को ₹4 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। लेकिन यह मदद ऐसे ही नहीं मिलती – इसके लिए कुछ ज़रूरी प्रक्रिया और दस्तावेजों की पूर्ति अनिवार्य है।
कैसे मिलेगा मुआवजा?
हादसे के 24 से 72 घंटे के अंदर परिजनों को सूचना देनी होगी। 1070 हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके या डीएम कार्यालय में सूचना देना अनिवार्य है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट अनिवार्य है, जिसमें साफ तौर पर सर्पदंश (सांप के काटने) को मौत का कारण बताया गया हो। मृतक के परिजनों को मृतक का आधार कार्ड , मृत्यु प्रमाण पत्र, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और यदि उपलब्ध हो तो अस्पताल की रिपोर्ट देनी होगी। दस्तावेजों की जांच के बाद, यदि सब कुछ सत्य पाए जाते हैं तो सात से दस कार्यदिवस के भीतर राशि मृतक के परिजन के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है।
झाड़-फूंक नहीं, अस्पताल
यूपी सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि सर्पदंश की स्थिति में झाड़-फूंक या तंत्र-मंत्र के चक्कर में बिल्कुल न पड़ें। यदि समय रहते अस्पताल में भर्ती कराया जाए तो Anti-Venom इंजेक्शन के जरिए व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। यदि इलाज के बजाय अंधविश्वास का सहारा लिया गया और मौत हो गई, तो बिना पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुआवजा नहीं दिया जाएगा।
इलाज भी मुफ्त
राज्य सरकार ने यह भी निर्देश दिए हैं कि सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति का इलाज सरकारी अस्पतालों में बिल्कुल मुफ्त किया जाए। आपदा की स्थिति में प्रशासन तत्काल ऐम्बुलेंस सुविधा और प्राथमिक उपचार की जिम्मेदारी निभाएगा।