फतेहपुर के पचबरी मेले में उमड़ा जनसैलाब, युवाओं ने दंगल में दिखाए दांवपेंच

ऐतिहासिक पचबरी मेले में इस बार भी परंपरा और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। सुबह से ही मेले में ग्रामीणों की भारी भीड़ उमड़ी। महिलाओं ने ढोलक और मजीरे की थाप पर मंगल गीत गाकर उत्सव का रंग बिखेरा तो दूसरी ओर घर-गृहस्थी के सामान, बांस से बनी टोकरी, सूपा व घरेलू उपयोग की वस्तुओं की जमकर खरीददारी की।

Post Published By: Rohit Goyal
Updated : 3 September 2025, 4:49 AM IST

Fatehpur: फतेहपुर के असोथर विकासखंड क्षेत्र की ग्राम पंचायत जरौली स्थित ऐतिहासिक पचबरी मेले में इस बार भी परंपरा और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। सुबह से ही मेले में ग्रामीणों की भारी भीड़ उमड़ी। महिलाओं ने ढोलक और मजीरे की थाप पर मंगल गीत गाकर उत्सव का रंग बिखेरा तो दूसरी ओर घर-गृहस्थी के सामान, बांस से बनी टोकरी, सूपा व घरेलू उपयोग की वस्तुओं की जमकर खरीददारी की।

मेले का प्रमुख आकर्षण दंगल रहा, जिसमें युवा पहलवानों ने दमखम दिखाते हुए दांवपेंच आजमाए और जीतकर पुरस्कार भी हासिल किए। बच्चों ने जहां ड्रैगन झूला व झूले-झूलों का आनंद लिया, वहीं बुजुर्गों ने पहलवानों की भिड़ंत का लुत्फ उठाया। मेले में मिठाइयों और फास्टफूड की दुकानों पर खासा रौनक रही, जिसमें जलेबी, चाट और समोसे की सबसे अधिक बिक्री हुई।

महाभारत काल से जुड़ी मान्यता

गांव के बुजुर्गों के अनुसार पचबरी का महत्व ऐतिहासिक है। मान्यता है कि महाभारत काल में पांडवों ने यहां विशाल बरगद के वृक्ष की स्थापना कर कुछ समय निवास किया था। तभी से यहां दंगल और बसेउरा त्योहार की परंपरा चली आ रही है। आज भी ग्रामीण इस स्थान को आस्था और परंपरा से जोड़कर देखते हैं।

बांदा तक से पहुंचे श्रद्धालु

पचबरी मेले में केवल असोथर ही नहीं बल्कि बांदा जिले के मार्का क्षेत्र से भी बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग पहुंचे। इसके अलावा जरौली, रामनगर कौहन, कोटवा, सरकंडी, मनावा, गेंडुरी, घरवासीपुर, असोथर सहित आसपास के गांवों से भी लोग मेले और दंगल का आनंद लेने आए।

प्रशासन व ग्रामीणों की रही सक्रिय भूमिका

मेले की व्यवस्था को लेकर ग्राम प्रधान मनीषा निषाद के प्रतिनिधि रामलखन निषाद और जरौली चौकी इंचार्ज उपनिरीक्षक अंकुश यादव अपनी टीम के साथ सुरक्षा व्यवस्था में मुस्तैद रहे। ग्रामीण स्तर पर भी व्यवस्था को लेकर चंद्रभान सिंह, राजा मिश्रा, राजा शुक्ला, रोहित मिश्रा, शिवनरेश सिंह, राजा प्रजापति, देवराज प्रजापति सहित बड़ी संख्या में नागरिक सक्रिय रहे।

दो दिन पूर्व से ही मेले के मैदान की साफ-सफाई और तैयारियां शुरू कर दी गई थीं। सुबह से ही महिलाएं ढोल-मजीरे की थाप पर पूजन व मंगल गीतों के साथ उत्सव में शामिल हुईं।

पचबरी मेला इस बार भी क्षेत्रीय संस्कृति, आस्था और लोक परंपरा का अद्भुत उदाहरण बनकर ग्रामीणों की यादों में बसेरा कर गया।

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  • Fatehpur

Published : 
  • 3 September 2025, 4:49 AM IST