गोरखपुर में थोक किराना कारोबारी के उत्पीड़न मामले में शासन ने सख्त रुख अपनाते हुए वाणिज्य कर विभाग के सहायक आयुक्त शरद चंद्र मिश्रा को निलंबित कर दिया है। जांच में पाया गया कि वैध कागजात होने के बावजूद व्यापारी से अवैध रूप से 1.65 लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया।

वाणिज्य कर विभाग (Img: Google)
Gorakhpur: किराना व्यापार जगत में हड़कंप मचा देने वाले उत्पीड़न मामले में उत्तर प्रदेश शासन ने बड़ी कार्रवाई की है। वाराणसी में तैनात सहायक आयुक्त (प्रभारी सचल दल) शरद चंद्र मिश्रा को निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई 2 दिसंबर को जारी सरकारी आदेश के तहत की गई, जिसे पूरे प्रदेश के व्यापारी संगठनों ने “ऐतिहासिक कदम” बताते हुए स्वागत किया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यह मामला अक्टूबर महीने का है जब साहबगंज स्थित प्रसिद्ध थोक व्यापारी अवनीश ट्रेडर्स की एक गाड़ी कर्नाटक से गोरखपुर लौट रही थी। नियमित चेकिंग के दौरान वाणिज्य कर विभाग की टीम ने वाहन रोका।
व्यापारी की ओर से ई-वे बिल, ई-इनवॉइस और अन्य सभी जरूरी दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए गए थे, लेकिन अधिकारियों ने कागजात में मनमानी कमियां निकालकर वाहन को कई घंटों रोक लिया। बाद में टीम ने 1.65 लाख रुपये का जुर्माना जमा कराने के बाद ही गाड़ी छोड़ी, जिससे व्यापारी जगत में भारी आक्रोश फैल गया।
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घटना के तुरंत बाद स्थानीय व्यापारी संगठनों ने इसे गंभीर उत्पीड़न करार देते हुए आगे बढ़ाया। चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष संजय सिंघानिया ने मामले को सीधे लखनऊ स्थित वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में पहुंचाया। सिंघानिया के अनुसार प्रारंभिक जांच में पाया गया कि व्यापारी द्वारा दिए गए सभी दस्तावेज वैध और पूर्ण थे। इसके बावजूद सहायक आयुक्त ने अवैध रूप से जुर्माना वसूल किया।
व्यापारी संगठनों ने यह कहते हुए शिकायत दर्ज कराई कि यह केवल एक व्यापारी का मामला नहीं, बल्कि पूरे व्यापार समुदाय के साथ होने वाली मनमानी का उदाहरण है। शिकायत क्रमशः वाराणसी वाणिज्य कर विभाग, राज्य कर आयुक्त (UP) और प्रमुख सचिव वाणिज्य कर तक पहुंचाई गई। उच्चाधिकारियों ने पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच कराई, जिसमें सहायक आयुक्त शरद चंद्र मिश्रा की भूमिका को स्पष्ट रूप से दोषी पाया गया।
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जांच रिपोर्ट शासन तक पहुंचते ही 2 दिसंबर को निलंबन आदेश जारी कर दिया गया। आदेश जारी होते ही गोरखपुर के व्यापारिक हलकों में राहत और संतोष की लहर दौड़ गई। व्यापारियों ने कहा कि यह निर्णय न केवल पीड़ित व्यापारी को न्याय दिलाने वाला है बल्कि विभागीय मनमानी पर रोक लगाने की दिशा में एक मजबूत संदेश है।
चैंबर ऑफ कॉमर्स ने बयान जारी कर कहा कि “वैध कागजात होने के बावजूद जुर्माने की वसूली व्यापार जगत का मनोबल तोड़ देती है। अब ऐसी किसी भी मनमानी के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति लागू होनी चाहिए।” संगठन ने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में किसी व्यापारी का शोषण होने पर प्रदेशव्यापी विरोध की तैयारी की जाएगी।