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गोरखपुर: खजनी तहसील में स्वचालित वर्षा मापक यंत्र का दुरुपयोग, लाखों की लागत बेकार

गोरखपुर की खजनी तहसील में स्वचालित वर्षा मापक यंत्र का दुरुपयोग का मामला सामने आया हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: Rohit Goyal
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गोरखपुर: खजनी तहसील में स्वचालित वर्षा मापक यंत्र का दुरुपयोग, लाखों की लागत बेकार

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश सरकार के राहत आयुक्त कार्यालय के निर्देशन में खजनी तहसील में एक वर्ष पहले स्थापित किया गया स्वचालित वर्षा मापक यंत्र आज अपने हाल पर आंसू बहा रहा है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार लाखों रुपये की लागत से तैयार इस यंत्र का उद्देश्य वर्षा का औसत माप ज्ञात करना था, ताकि बाढ़ और आपदा प्रबंधन में सहायता मिल सके। लेकिन, यह यंत्र आज घास-फूस और उपेक्षा का शिकार होकर गहरे उपहास का पात्र बन गया है।

उपयोगिता पर सवाल, रखरखाव का अभाव

राहत आयुक्त कार्यालय द्वारा स्थापित इस यंत्र का मुख्य उद्देश्य मौसम की सटीक जानकारी, विशेष रूप से वर्षा की मात्रा का मापन कर आपदा प्रबंधन को सुदृढ़ करना था। यह यंत्र आपदा प्रहरी ऐप और वेब-आधारित प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के साथ मिलकर ग्राम प्रधानों, लेखपालों और अन्य स्थानीय अधिकारियों को समय पर अलर्ट प्रदान करने में सक्षम था। इसके माध्यम से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की ऐतिहासिक जानकारी एकत्रित कर राहत कार्यों को बेहतर बनाने की योजना थी। लेकिन, खजनी तहसील में यह यंत्र अपनी उपयोगिता खो चुका है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यंत्र की देखभाल और रखरखाव के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। परिणामस्वरूप, यह यंत्र अब घास-फूस से ढक गया है और पूरी तरह से बेकार पड़ा है

लाखों की लागत, शून्य परिणाम

लाखों रुपये की लागत से स्थापित इस यंत्र का दुरुपयोग न केवल सरकारी संसाधनों की बर्बादी को दर्शाता है, बल्कि आपदा प्रबंधन की तैयारियों पर भी गंभीर सवाल उठाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यंत्र की स्थापना के बाद इसके उपयोग को लेकर कोई प्रशिक्षण या जागरूकता कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया। नतीजतन, यह यंत्र न तो डेटा संग्रह में सहायक हो पा रहा है और न ही आपदा प्रबंधन में कोई योगदान दे रहा है।

आपदा प्रहरी ऐप की विफलता?

राहत आयुक्त कार्यालय ने आपदा प्रहरी ऐप और एकीकृत प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को 24 जुलाई 2020 को लॉन्च किया था, जिसका उद्देश्य मौसम विभाग की भविष्यवाणियों के आधार पर समय पर चेतावनी जारी करना था। इस ऐप के जरिए 25 लाख से अधिक किसानों और नागरिकों को जानकारी पहुंचाने का दावा किया गया था। लेकिन खजनी जैसे क्षेत्रों में यंत्रों की बदहाल स्थिति इस प्रणाली की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े करती है।

मांग: जांच और जवाबदेही

स्थानीय निवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले में तत्काल जांच की मांग की है। उनका कहना है कि सरकारी धन की बर्बादी और आपदा प्रबंधन की विफलता के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही, यंत्र के रखरखाव और इसके उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
उओ मामले एसडीएम ख़जनी राजेश प्रताप सिंह ने बताया यंत्र उपयोग में है जल्द ही साफ सफाई करवा दिया जाएगा ।

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