Chandauli: चंद्रप्रभा नदी में आई भीषण बाढ़ ने जिले के आधा दर्जन गांवों को टापू बना दिया है। जरखोर, भटपुरवा, जगदीशपुर, कुरई, पैटुआ और चनहटा गांवों का बाकी दुनिया से संपर्क पूरी तरह टूट गया है। जल प्रलय के बीच ग्रामीण प्रशासनिक मदद की आस में टकटकी लगाए बैठे हैं लेकिन अब तक कोई ठोस राहत नहीं पहुंच सकी है।
चंद्रप्रभा नदी की बाढ़ ने मचाई तबाही
लगातार 48 घंटे से अधिक समय से ग्रामीण बाढ़ में फंसे हैं। कई गांवों में लोग आधे गांव में फंसे हैं तो बाकी लोग सड़क के किनारे शरण लेने को मजबूर हैं। भोजन, पीने के पानी और मवेशियों के चारे तक की कोई समुचित व्यवस्था नहीं हो पाई है।
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हालात इतने बदतर हैं कि अब ग्रामीणों का सब्र जवाब देने लगा है। बाढ़ प्रभावित जगदीशपुर और भटपुरवा गांवों के ग्रामीणों में खासा आक्रोश है। गांव वालों का कहना है कि प्रशासन के बड़े अधिकारी दौरा तो कर रहे हैं लेकिन आम लोगों से संवाद नहीं कर रहे।
ग्राम प्रधान संजय सिंह (जगदीशपुर) ने कहा- हमारे गांव में पानी चारों ओर से घुस चुका है, लोग घरों की छतों पर शरण लिए हैं। हमने कई बार प्रशासन से मदद मांगी लेकिन अभी तक नाव या भोजन जैसी कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है।
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बाढ़ में लगातार 48 घंटे से फंसे ग्रामीण
ग्रामीण चिंटू सिंह (जरखोर) ने कहा- डीएम साहब आए जरूर थे लेकिन सड़क पर गाड़ी में बैठे-बैठे ही लौट गए। कम से कम लोगों से बात तो कर लेते। हमारी तकलीफ समझते।
लवकुश गुप्ता (जगदीशपुर) का कहना है- गांव में करीब 300 लोग फंसे हैं, जिनके पास न खाना है, न साफ पानी। कुछ बच्चे बीमार भी हो गए हैं लेकिन कोई मेडिकल सुविधा नहीं मिल पा रही है।
संतोष कुमार (भटपुरवा) ने बताया- हमने अपने पशुओं को ऊंचाई पर बांध दिया है लेकिन उनके लिए चारा नहीं है। खुद भी सूखा खाना खा रहे हैं। दो दिन से प्रशासन का इंतजार कर रहे हैं।
स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता को लेकर ग्रामीणों में भारी नाराजगी है। ग्रामीणों का आरोप है कि डीएम ने बाढ़ प्रभावित गांवों के बीच से सड़क पर गाड़ी में बैठकर निरीक्षण किया लेकिन ग्रामीणों के बीच जाकर न तो हाल जाना और न ही कोई तात्कालिक राहत पहुंचाई।
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अब जरूरत है कि जिला प्रशासन हालात की गंभीरता को समझे और तत्काल राहत अभियान शुरू करे। नाव, राशन, मेडिकल टीम और चारा की व्यवस्था हो ताकि लोगों को इस जल प्रलय से राहत मिल सके।

