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बलरामपुर में नाबालिग से गैंगरेप के पांच अभियुक्तों को सजा, चार को 20-20 साल का कठोर कारावास

जिले में नाबालिग लड़की से सामूहिक दुष्कर्म के पांच साल पुराने मामले में न्याय की उम्मीद कर रहे परिजनों को राहत मिली है। विशेष न्यायालय पास्को एक्ट ने पांच अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए कठोर सजा सुनाई है। इसमें चार अभियुक्तों को 20-20 वर्षों का कठोर कारावास तथा 10-10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा दी गई है, जबकि एक अभियुक्त को एक वर्ष का कठोर कारावास भुगतना होगा।
Post Published By: Poonam Rajput
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बलरामपुर में नाबालिग से गैंगरेप के पांच अभियुक्तों को सजा, चार को 20-20 साल का कठोर कारावास

Balrampur: जिले में नाबालिग लड़की से सामूहिक दुष्कर्म के पांच साल पुराने मामले में न्याय की उम्मीद कर रहे परिजनों को राहत मिली है। विशेष न्यायालय पास्को एक्ट ने पांच अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए कठोर सजा सुनाई है। इसमें चार अभियुक्तों को 20-20 वर्षों का कठोर कारावास तथा 10-10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा दी गई है, जबकि एक अभियुक्त को एक वर्ष का कठोर कारावास भुगतना होगा। यह फैसला न्यायपालिका द्वारा नाबालिगों के खिलाफ होने वाले अपराधों के प्रति कठोर रुख को दर्शाता है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) एवं मॉनिटरिंग सेल के नोडल प्रभारी विशाल पाण्डेय और विशेष लोक अभियोजक पवन कुमार शुक्ला ने बताया कि यह मामला 16 अक्टूबर 2019 को थाना हरैया में दर्ज किया गया था। पीड़िता के पिता ने पुलिस को दी गई तहरीर में आरोप लगाया था कि उसकी नाबालिग पुत्री को पांच युवक—अब्दुल गफ्फार पुत्र रमजान, सुरेन्द्र पुत्र गुरु प्रसाद, इजहार पुत्र समसार, रियाज पुत्र समसार तथा जोखू उर्फ जाकिर पुत्र पंथे, सभी निवासी राजा बनकटवा, थाना हरैया— जबरन बहला-फुसलाकर भगा ले गए थे और उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया।

मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश पास्को दीप नारायण तिवारी की अदालत में हुई, जहां अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत किए गए साक्ष्य और गवाहों ने घटना की पुष्टि की। वहीं, सभी अभियुक्तों ने न्यायालय में स्वयं को निर्दोष बताया, लेकिन अदालत ने अभियोजन पक्ष के ठोस सबूतों के आधार पर चार अभियुक्तों—अब्दुल गफ्फार, सुरेन्द्र, इजहार और रियाज—को सामूहिक दुष्कर्म और अन्य गंभीर धाराओं में दोषी करार देते हुए 20-20 वर्षों का कठोर कारावास और 10-10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।

वहीं, पांचवें अभियुक्त जोखू उर्फ जाकिर को नाबालिग को भगाने और मामले में सहआरोपी होने के कारण एक वर्ष का कठोर कारावास और 2,000 रुपये के जुर्माने की सजा दी गई है।

विशेष लोक अभियोजक पवन कुमार शुक्ला ने बताया कि यह फैसला न सिर्फ पीड़िता को न्याय दिलाने वाला है, बल्कि समाज में गलत नीयत रखने वालों के लिए भी एक सख्त संदेश है कि कानून ऐसे मामलों में कोई नरमी नहीं बरतेगा।

पीड़िता के परिजनों ने अदालत के इस फैसले का स्वागत किया है और इसे न्यायपालिका में विश्वास की जीत बताया है। इस केस में पुलिस की त्वरित कार्रवाई और अभियोजन पक्ष की मजबूती ने मामले को अंजाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई।

यह फैसला यह भी स्पष्ट करता है कि उत्तर प्रदेश की अदालतें विशेष रूप से पास्को एक्ट के अंतर्गत आने वाले मामलों में त्वरित और कठोर निर्णय लेने को प्रतिबद्ध हैं, जिससे पीड़ितों को शीघ्र न्याय मिल सके।

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