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फतेहपुर में ओवरलोड वाहनों का आतंक, प्रशासन की ढिलाई से सड़कों की हालत हुई खस्ता

फतेहपुर में ओवरलोड वाहनों की समस्या लगातार बढ़ रही है, जिससे सड़कों की हालत खराब हो गई है। प्रशासन की ढिलाई और विभागीय मिलीभगत से यह समस्या और गंभीर हो गई है। ग्रामीणों ने सख्त कार्रवाई की मांग की है।
Post Published By: Tanya Chand
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फतेहपुर में ओवरलोड वाहनों का आतंक, प्रशासन की ढिलाई से सड़कों की हालत हुई खस्ता

Fatehpur: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर क्षेत्र में ओवरलोड वाहनों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा। ताजा मामला असोथर थाना क्षेत्र के जरौली के मजरे सिंघूतारा डंपिंग ग्राउंड के पास का है। जहां शुक्रवार को परिवहन विभाग की टीम एआरटीओ के नेतृत्व में ओवरलोड वाहनों की चेकिंग के लिए निकली थी। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि डंपिंग ग्राउंड से कुछ ही दूरी पहले टीम ने अपने वाहन मोड़ लिए और वापस लौट आई। जबकि उसी मार्ग पर लगभग दो दर्जन से अधिक ओवरलोड वाहन कतारबद्ध खड़े थे। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि जब मुख्य सड़क पर ही ओवरलोड वाहनों की लंबी कतार दिखाई दे रही थी, तो आखिर एआरटीओ की टीम वहां तक क्यों नहीं पहुंची?

ग्रामीणों का कहना है कि डंप संचालकों की मनमानी और प्रशासन की ढिलाई से ओवरलोडिंग पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही। यह स्थिति अब नासूर बन चुकी है। बार-बार मीडिया और सोशल मीडिया में मुद्दा उठाए जाने के बावजूद विभागीय अधिकारी केवल औपचारिकता निभाने तक ही सीमित हैं। शिकायतों पर कभी-कभार एक-दो वाहनों पर जुर्माना तो ठोंक दिया जाता है, लेकिन उसके बाद पुनः ओवरलोड वाहनों की धड़ल्ले से आवाजाही शुरू हो जाती है।

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ओवरलोडिंग से सड़कें हो रही जर्जर

ग्रामीण बताते हैं कि करोड़ों की लागत से बनी कौहन–जरौली मार्ग व कठौता–सैबसी मार्ग पर ओवरलोड वाहनों की निरंतर आवाजाही से सड़क जगह-जगह से उखड़ चुकी है। गिट्टियां बाहर आ गई हैं और बड़े-बड़े गड्ढे बन चुके हैं। बच्चों और राहगीरों को रोजाना हादसों का खतरा झेलना पड़ रहा है। आए दिन साइकिल सवार और स्कूली बच्चे सड़क कीचड़ और गड्ढों में गिरकर चोटिल हो रहे हैं।

एबीवीपी ने उठाई आवाज

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद नगर इकाई असोथर ने सोशल मीडिया के माध्यम से प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है। परिषद ने कहा कि वर्षों बाद छात्राओं को आवागमन के लिए अच्छी सड़क मिली थी, लेकिन अब डंप संचालकों की मिलीभगत से ओवरलोड वाहन उसे चकनाचूर कर रहे हैं। संगठन ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र ही ओवरलोड वाहनों पर अंकुश नहीं लगाया गया और सड़कों को बचाने के ठोस प्रयास नहीं हुए, तो विद्यार्थी परिषद आंदोलन करने को बाध्य होगी। इसकी जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस, परिवहन विभाग व जिला प्रशासन की होगी।

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मिलीभगत पर उठ रहे सवाल

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस, खनिज विभाग और परिवहन विभाग की मिलीभगत से डंप संचालकों के हौसले बुलंद हैं। यही वजह है कि बार-बार शिकायतों के बावजूद अवैध खनन और ओवरलोडिंग का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है।

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ओवरलोडिंग की समस्या बनी नासूर, सड़कों का निकाला कचूमर

ओवरलोडिंग की समस्या ने असोथर क्षेत्र की सड़कों को बुरी तरह बर्बाद कर दिया है। यदि समय रहते प्रशासन ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो आने वाले कुछ ही महीनों में करोड़ों की लागत से बनी सड़कें पूरी तरह ध्वस्त हो जाएंगी। ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारी सिर्फ कागजी कार्रवाई कर जनता को गुमराह कर रहे हैं। वहीं, लोगों ने शासन-प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है।

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