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DN Exclusive: देवरिया के भृगुसरी में महिलाओं का फूटा गुस्सा, ग्राम प्रधान और सचिव पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप

देवरिया जिले के गौरीबाजार ब्लॉक के ग्राम भृगुसरी में एक दर्जन से अधिक महिलाओं ने ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव पर गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया। महिलाओं का कहना है कि गांव में विकास केवल कागजों पर हुआ है, जबकि धरातल पर इसका नामोनिशान नहीं है।
Post Published By: Nidhi Kushwaha
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DN Exclusive: देवरिया के भृगुसरी में महिलाओं का फूटा गुस्सा, ग्राम प्रधान और सचिव पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप

Deoria: देवरिया जनपद के गौरीबाजार विकासखंड अंतर्गत ग्राम भृगुसरी में महिलाओं का आक्रोश अब सड़कों तक पहुंच चुका है। दर्जनों महिलाओं ने ग्राम प्रधान संजू देवी और ग्राम पंचायत सचिव धर्मेंद्र कुमार पर सार्वजनिक धन की लूट और योजनाओं में भारी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। महिलाओं का कहना है कि गांव में वर्षों से विकास के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति की जा रही है जबकि जमीनी हकीकत बेहद चिंताजनक है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, गांव की निवासी मीरा निषाद ने बताया कि मनरेगा, पशुपालन के टीन शेड, अमृत सरोवर योजना, वृक्षारोपण, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना, हर घर जल योजना, पेंशन योजनाएं और नाली निर्माण जैसे कार्यों के नाम पर लाखों रुपये खर्च दिखाए गए हैं, लेकिन धरातल पर कुछ भी दिखाई नहीं देता।

जॉब कार्ड बनवाकर हुई हेराफेरी

महिलाओं ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ योजनाओं में फर्जी एमबी, मस्टर रोल और जॉब कार्ड बनाकर मजदूरों का एक ही फोटो कई योजनाओं में लगाकर धन की हेराफेरी की गई है। इसके अलावा, ग्राम सभा की संपत्ति जैसे पोखरी का आवंटन प्रधान ने अपने ही परिजनों के नाम कर दिया।

स्वच्छता की स्थिति खराब

गांव में स्वच्छता की स्थिति भी बेहद खराब है। वर्षों पुराना शौचालय ताले में बंद पड़ा है और सफाईकर्मी महीनों से नहीं आया है। डाइनामाइट न्यूज़ की टीम को जानकारी मिली कि पुराने सफाईकर्मी की मृत्यु के बाद कोई नया कर्मी नहीं आया, जबकि रिकॉर्ड में एक नंदकिशोर पाल की नियुक्ति दिख रही है।

ग्रामीणों ने भेदभाव का लगाया आरोप

अनुसूचित जाति की महिलाओं ने ग्राम प्रधान पर भेदभाव और उपेक्षा का आरोप भी लगाया। उनका कहना है कि न तो उन्हें आवास मिला है, न ही पेंशन और न ही शुद्ध पेयजल या स्ट्रीट लाइट जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। गांव की महिलाओं को खुले में शौच के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जो बेहद शर्मनाक स्थिति है।

स्थानीय निवासी नरसिंह ने बताया कि अमृत सरोवर योजना के तहत गांव की एक पोखरी का सुंदरीकरण होना था, लेकिन सिर्फ खुदाई करके छोड़ दिया गया। बाकी राशि कागजों में ही खर्च दिखा दी गई।

जब डाइनामाइट न्यूज़ की टीम ने ग्राम प्रधान संजू देवी से बात करनी चाही तो उन्होंने इन सभी आरोपों को निराधार बताया और कहा कि गांव में हर महीने बैठकें होती हैं और विकास कार्य नियमित रूप से चल रहे हैं।

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