Maharajganj: महराजगंज जिला कोर्ट में शुक्रवार को एक सनसनीखेज घटना घटी, जब गवाहों का बयान करा रहे अधिवक्ता पर दो आरोपितों ने हमला कर दिया। इस हमले में अधिवक्ता बेहोश हो गए, जबकि दो अन्य वकील भी घायल हो गए। कोर्ट परिसर में अफरा-तफरी मच गई, लेकिन घटनास्थल पर मौजूद लोगों और अधिवक्ताओं ने साहस दिखाते हुए हमलावरों को पकड़ लिया। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और हत्या के प्रयास समेत अन्य गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया।
क्या है पूरा मामला?
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यह घटना शुक्रवार दोपहर लगभग सवा तीन बजे घुघली थाना क्षेत्र के हरखपुरा निवासी अधिवक्ता ऐनुल होदा सिद्दीकी के साथ हुई, जब वह सिविल जज (जूनियर डिवीजन) एफटीसी कोर्ट में एक मुकदमे में गवाहों का बयान करा रहे थे। कोर्ट कार्यवाही के दौरान, मुकदमे में शामिल दो आरोपितों अनवर और मुस्तकीम ने बार-बार कार्यवाही में विघ्न डालने की कोशिश की। जब अधिवक्ता ने उन्हें शांत रहने के लिए कहा, तो दोनों आरोपित आग बबूला हो गए और अपशब्द कहते हुए अधिवक्ता पर टूट पड़े।
आरोपितों ने अधिवक्ता सिद्दीकी के सिर और पेट पर लात-घूंसों से हमला किया, जिससे वह जमीन पर गिर पड़े और बेहोश हो गए। इस दौरान कोर्ट परिसर में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। जैसे ही इस हमले की जानकारी अन्य अधिवक्ताओं को मिली, अधिवक्ता आशुतोष पांडेय और सदरे आलम उन्हें बचाने पहुंचे, लेकिन हमलावरों ने उन पर भी हमला कर दिया।
हमलावरों को पकड़ लिया
घटना को देखकर अदालत में मौजूद अधिवक्ताओं और नागरिकों ने साहस दिखाया और हमलावरों को घेर लिया। किसी तरह दोनों आरोपितों को पकड़कर पुलिस को सौंप दिया गया। घायल अधिवक्ताओं को तुरंत उपचार के लिए अस्पताल भेजा गया।
पुलिस ने दर्ज किया मामला
पुलिस ने घटना के बाद तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपितों अनवर और मुस्तकीम के खिलाफ हत्या के प्रयास, आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम और न्यायालय के अपमान की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। सदर कोतवाली के प्रभारी निर्भय कुमार सिंह ने इस मामले को अत्यंत गंभीर बताते हुए आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
सुरक्षा पर उठे सवाल
इस घटना के बाद न्यायालय परिसर में सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं। कोर्ट में कार्यवाही के दौरान इस तरह के हमले ने अदालत के भीतर सुरक्षा की गंभीर जरूरतों को उजागर किया है। न्यायालय परिसर में सुरक्षा बढ़ाने के उपायों पर विचार किया जा रहा है ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और न्याय की प्रक्रिया सुरक्षित रह सके।
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न्यायपालिका पर हमले की घटनाओं में बढ़ोतरी
यह घटना महज एक उदाहरण है, लेकिन ऐसे हमले हाल के दिनों में बढ़ते जा रहे हैं। अदालतों में वकीलों और जजों पर हमलों के मामलों में वृद्धि, सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता को और भी बढ़ा देती है। सरकार और न्यायिक प्रशासन को इस पर शीघ्र कदम उठाने की जरूरत है ताकि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

