Chandauli News: घर लौटते मजदूर की मौत, अस्पताल में घंटों पड़ा रहा शव, जिम्मेदारी से भागते रहे अधिकारी

यूपी के चंदौली जनपद से एक बड़ी खबर सामने आ रही है, जहां घर लौटते मजदूर की मौत ने झकझोरा सिस्टम, जीआरपी की बेरुख़ी से इंसानियत हुई शर्मसार।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 3 July 2025, 4:49 PM IST

Chandauli: बिहार के किशनगंज जिले का रहने वाला 38 वर्षीय मजदूर दुखन ऋषि सूरत से अपने घर लौटते वक्त डीडीयू जंक्शन (पं. दीनदयाल उपाध्याय नगर) पर जिंदगी की जंग हार गया। सूरत में मजदूरी कर अपने भाई के साथ घर लौट रहे दुखन की अचानक तबीयत बिगड़ गई। जब ट्रेन डीडीयू स्टेशन पर पहुंची, तो उसने आरपीएफ से मदद की गुहार लगाई। आरपीएफ ने तत्परता दिखाते हुए मजदूर को लोको अस्पताल पहुंचाया, लेकिन दुर्भाग्यवश इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, असली पीड़ा तो इसके बाद शुरू हुई- जब जिम्मेदार तंत्र की संवेदनहीनता सामने आई। मजदूर का शव अस्पताल में लगभग रात 12 बजे तक यूं ही पड़ा रहा। इस दौरान न जीआरपी ने शव को कब्जे में लिया और न ही यह स्पष्ट किया गया कि पोस्टमार्टम कराने की जिम्मेदारी किसकी है। मृतक का भाई पूरे दिन कभी जीआरपी थाना तो कभी अस्पताल के चक्कर काटता रहा, लेकिन उसे कोई ठोस जवाब नहीं मिला।

जीआरपी की बेरुखी ने इंसानियत को किया शर्मसार

अस्पताल के कर्मचारियों की मानें तो उन्होंने जीआरपी को कई बार सूचना दी, लेकिन हर बार बात टाल दी गई। आरपीएफ कर्मियों ने अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाई, लेकिन जीआरपी की बेरुख़ी ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

अस्पताल में घंटों पड़ा रहा शव

मामला तब प्रकाश में आया जब कुछ पत्रकारों को इसकी जानकारी मिली और उन्होंने मौके पर पहुंचकर स्थिति की जानकारी ली। पत्रकारों की मौजूदगी के बाद ही संबंधित अधिकारियों ने हरकत में आना शुरू किया। जानकारी मिलते ही अलीनगर थाना प्रभारी ने पहल करते हुए शव को कब्जे में लिया और पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू करवाई। उन्होंने मृतक के भाई को भरोसा दिलाया कि अगले दिन शव पोस्टमार्टम के बाद सौंप दिया जाएगा।

जीआरपी की लापरवाही ने खोल दी सिस्टम की पोल

यह पूरी घटना न सिर्फ प्रशासनिक तंत्र की लापरवाही उजागर करती है, बल्कि यह भी दिकाती है कि कैसे आज भी गरीब और असहाय लोगों को मौत के बाद भी अपमानजनक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। जिस व्यक्ति ने जीवन भर मेहनत कर अपने परिवार का पेट पाला, उसे मौत के बाद भी वह सम्मान नहीं मिल सका जिसका वह हकदार था।

यह सवाल सिर्फ एक मजदूर की मौत का नहीं, बल्कि एक संवेदनहीन व्यवस्था का है, जो हर रोज किसी न किसी दुखन को निगल रही है। प्रशासन को अब यह सोचने की जरूरत है कि उसकी प्राथमिकता केवल कागजी कार्रवाई है या जमीन पर इंसानियत की रक्षा करना भी उसका कर्तव्य है।

Location : 
  • Chandauli

Published : 
  • 3 July 2025, 4:49 PM IST