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Pahalgam Terror: भाजपा प्रत्याशी सरिता कठेरिया ने किया शोक सभा का आयोजन, मृतकों को दी श्रद्धांजलि

सरिता कठेरिया ने आतंकी हमले में मारे गए 28 लोगों की आत्मा की शांति के लिए 5 मिनट तक मौन रखकर शोक संवेदना व्यक्त की। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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Pahalgam Terror: भाजपा प्रत्याशी सरिता कठेरिया ने किया शोक सभा का आयोजन, मृतकों को दी श्रद्धांजलि

इटावा: कस्बा इकदिल नगर पंचायत उप चुनाव के चलते भाजपा के अध्यछ पद की उम्मीदवार सरिता कठेरिया ने जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए 28 निर्दोष लोगों की मौत पर शोक व्यक्त किया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इस घटना के विरोध में आज इकदिल पार्टी कार्यालय में एक शोक सभा का आयोजन किया गया। जिसमें भाजपा कार्यकर्ता और कस्बे की महिलाएं उपस्थित रही।

शोक सभा का आयोजन

इस मौके पर सरिता कठेरिया ने आतंकी हमले में मारे गए 28 लोगों की आत्मा की शांति के लिए 5 मिनट तक मौन रखकर शोक संवेदना व्यक्त की। सरिता ने कहा कि इस तरह की घटनाएं देश को झकझोर देती हैं और हम सभी को मिलकर आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की कि शोक संतप्त परिवारों को संबल मिले और उन्हें न्याय मिले।

गोकुल वासी परिवारों के लिए प्रार्थना

सरिता कठेरिया ने विशेष रूप से गोकुल वासी परिवारों के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। जिनके प्रियजनों की इस हमले में जान गई। उन्होंने कहा कि भाजपा पार्टी शोक संतप्त परिवारों के साथ है और हम न्याय की प्राप्ति तक उनके साथ खड़े रहेंगे।

कार्यकर्ताओं की उपस्थिति

इस शोक सभा में भाजपा के कई कार्यकर्ता और कस्बे की महिलाएं उपस्थित रही, जिन्होंने हमले में मारे गए लोगों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की और आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने का संकल्प लिया।

35 साल बाद कश्मीर घाटी में बंद

आतंकी हमले के बाद कश्मीर घाटी में 35 साल बाद हुए आतंकी हमलों के खिलाफ आम लोग सड़कों पर उतर आए और विरोध प्रदर्शन किया। विभिन्न शहरों में लोग सड़कों पर उतरे और आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाई। कश्मीर के लोगों ने इस हमले पर गहरा आक्रोश और गुस्सा जाहिर किया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वे शांति और सुरक्षा चाहते हैं और आतंकवाद के खिलाफ उनकी आवाज और संघर्ष जारी रहेगा। हमले के विरोध में कश्मीर के प्रमुख शहरों में बंद का आयोजन किया गया। बाजारों में सन्नाटा पसरा रहा, स्कूल-कॉलेज बंद रहे और सार्वजनिक परिवहन भी नहीं चला। यह पहली बार था जब कश्मीर घाटी में आतंकी हमलों के खिलाफ व्यापक बंद और विरोध प्रदर्शन हुआ। स्थानीय लोगों का कहना है कि वे अपने जीवन में फिर से शांति चाहते हैं और इस तरह के हमले उनके विश्वास को नहीं तोड़ पाएंगे।

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