Lucknow: समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और रामपुर के पूर्व विधायक आज़म खां ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल से खुलकर बातचीत की। यह बातचीत कैमरे के सामने हुई और इसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस दौरान आज़म खां ने अपने छात्र जीवन की राजनीति, जेल यात्रा और मौजूदा राजनीतिक हालात पर विस्तार से चर्चा की।
उन्होंने अपनी बातचीत में कहा कि जब उन्हें रामपुर जेल से सीतापुर जेल भेजा गया था, उस वक्त उन्हें एनकाउंटर का डर सता रहा था। उन्होंने बताया, “जब परिवार के सदस्य अलग-अलग हुए, तब ऐसा लग रहा था कि अब शायद जिंदगी खत्म हो जाएगी। जब मैं और मेरा बेटा अब्दुल्ला सकुशल सीतापुर पहुंचे, तब जाकर राहत की सांस ली।”
जेल यात्रा का पूरा दर्द सुनाया
वीडियो में आज़म खां ने जेल में बिताए अपने दिनों को याद करते हुए कहा कि उन्हें उस अंधेरी कोठरी में रखा गया था, जहां कभी सुंदर डाकू बंद था, जिसे बाद में फांसी दी गई थी। उन्होंने कहा कि जमानत मिलने के बाद उनके खिलाफ मीसा का मुकदमा दर्ज कर लिया गया। जेल से निकलने के बाद वे बीड़ी श्रमिकों और बुनकरों की आवाज बने और जनता के बीच काम किया।
प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की तारीफ की
बातचीत के दौरान उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की खुलकर तारीफ की। आज़म खां ने कहा कि चौधरी चरण सिंह किसानों और मजदूरों के सच्चे हितैषी थे, जिन्होंने हमेशा जनता के हित में नीतियां बनाईं।
राजनीति में बदलाव पर जताई चिंता
कपिल सिब्बल के सवालों का जवाब देते हुए आज़म खां ने बताया कि 2017 के बाद उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम हैं। उन्होंने कहा, “पहले सदन के अंदर पक्ष-विपक्ष में बहस होती थी, लेकिन बाहर सब आत्मीयता से मिलते थे। अब माहौल बदल गया है- अब बदले की राजनीति हावी हो गई है।” उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ 94 मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जो पूरी तरह बे-बुनियाद हैं। उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा, “मैंने यूनिवर्सिटी बनाई, यही मेरा गुनाह है। मुझे जेल में नहीं, फांसीघर में रखा गया।”
परिवार से बिछड़ने का दर्द
आज़म खां ने अपने बेटे अब्दुल्ला आज़म को लेकर हुए दर्दनाक लम्हे का ज़िक्र करते हुए कहा कि जब उन्हें और उनके बेटे को अलग-अलग वाहनों में जेल भेजा जा रहा था, तब उन्हें सबसे अधिक डर लगा। उन्होंने कहा, “मेरे लिए अलग गाड़ी और अब्दुल्ला के लिए दूसरी गाड़ी थी। मैंने बेटे से कहा- जिंदगी रही तो फिर मिलेंगे, नहीं तो ऊपर मिलेंगे।” उन्होंने कहा कि जेल में रहकर उन्होंने कई ऐसी कहानियां सुनीं, जिनमें एनकाउंटर की बातें थीं और उस दौरान हर पल उन्हें अपनी और बेटे की जिंदगी की चिंता बनी रही।
“मुजरिम के रूप में हाउस में नहीं जाना चाहता”
भविष्य की राजनीति पर बोलते हुए आज़म खां ने कहा, “मैं चाहता हूं कि जब तक सरकार बने, तब तक मेरे ऊपर से मुकदमों का दाग मिट जाए। मैं मुजरिम के रूप में हाउस में नहीं जाना चाहता।”
उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति उनके लिए संघर्ष का नाम है, लेकिन अब वह अपने परिवार और सम्मान की रक्षा को लेकर अधिक चिंतित हैं। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें लोग आज़म खां की बेबाकी और उनकी भावनाओं को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

