Lucknow: उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों एक विवाद ने गरमा-गरम बहस छेड़ दी हैकैराना से सपा सांसद इकरा हसन और सहारनपुर के अपर जिलाधिकारी (ADM) संतोष बहादुर सिंह के बीच टकराव का मुद्दा अब संवैधानिक गरिमा बनाम नौकरशाही के अधिकार क्षेत्र से जुड़ता दिखाई दे रहा है।
क्या है पूरा मामला?
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, 1 जुलाई की दोपहर, जब इकरा हसन अपने निर्वाचन क्षेत्र की समस्याओं को लेकर एडीएम कार्यालय पहुंचीं, तो उन्होंने जो अनुभव किया वह उन्हें गहरे स्तर पर व्यथित कर गया। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी का व्यवहार न सिर्फ असम्मानजनक था, बल्कि लोकतंत्र के उस स्तंभ के प्रति भी अपमानजनक था जिसे ‘जनप्रतिनिधि’ कहा जाता है।
इकरा हसन के अनुसार, उन्हें कार्यालय से बाहर जाने को कहा गया। साथ ही, उनके साथ मौजूद नगर पंचायत अध्यक्ष शमा परवीन को डांटा गया। यही नहीं, सांसद का कहना है कि जब उन्होंने अपनी बात शिष्टता से रखनी चाही, तो एडीएम और अधिक भड़क गए और ‘गेट आउट’ तक कह दिया।
‘गेट आउट’ बना प्रतिष्ठा का मुद्दा?
भले ही एडीएम ने बाद में इसे ‘टंग ऑफ स्लिप’ यानी जुबान फिसलना बताया हो, लेकिन यह शब्द अब उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में बड़ी बहस का मुद्दा बन गया है। सांसद इकरा हसन ने इसे महिला जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा करार दिया और साफ कहा कि यह मामला सिर्फ उनके अपमान का नहीं, बल्कि संवैधानिक पद पर बैठे किसी भी प्रतिनिधि की गरिमा से जुड़ा है।
अखिलेश यादव की एंट्री और राजनीतिक संदेश
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस मामले में ट्वीट कर एडीएम के व्यवहार की आलोचना की। उन्होंने कहा, “जो सांसद का सम्मान नहीं करते, वो जनता का क्या करेंगे?” इकरा हसन ने भी इसे राजनीतिक और संवैधानिक चेतावनी के रूप में लेते हुए लिखा, “जो कुर्सी से ताकत का नशा कर बैठे, औरों की इज़्ज़त को धूल समझ बैठे, वो भूल गए हैं ये हिन्दुस्तान है — यहां नारी नहीं, खुद संविधान है।”
सिर्फ महिला कार्ड या असली असंवेदनशीलता?
यह सवाल अब चर्चा का विषय है कि क्या यह मामला एक महिला सांसद और अधिकारी के बीच संवाद की विफलता है या प्रशासनिक अहंकार की? मामले की गंभीरता को देखते हुए खुद मंडलायुक्त ने जांच के आदेश दिए हैं और डीएम से रिपोर्ट मांगी है।
एडीएम पक्ष की ओर से कहा गया कि, “सम्मान दिया, गलतफहमी हुई”। ADM संतोष बहादुर सिंह ने सभी आरोपों को नकारते हुए कहा कि वे तत्काल फील्ड से लौटकर सांसद से मिले और उन्हें पूरा सम्मान दिया। उनका कहना है कि यदि कोई शिकायत है, तो वह लिखित में दी जाए और वे जांच करवाने को तैयार हैं।