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फतेहपुर में आस्था की देखी गई अनोखी मिसाल, याद दिलाया सनातन धर्म का महत्व

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के असोथर थाना क्षेत्र के मनावां गांव में एक मार्मिक और आस्था से जुड़ी घटना सामने आई। यहां एक बंदर की मौत के बाद ग्रामीणों ने उसे भगवान हनुमान का स्वरूप मानते हुए पूरी वैदिक रीति-रिवाजों के साथ उसका अंतिम संस्कार किया।
Post Published By: Poonam Rajput
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फतेहपुर में आस्था की देखी गई अनोखी मिसाल, याद दिलाया सनातन धर्म का महत्व

फतेहपुर: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के असोथर थाना क्षेत्र के मनावां गांव में एक मार्मिक और आस्था से जुड़ी घटना सामने आई। यहां एक बंदर की मौत के बाद ग्रामीणों ने उसे भगवान हनुमान का स्वरूप मानते हुए पूरी वैदिक रीति-रिवाजों के साथ उसका अंतिम संस्कार किया। यह दृश्य न केवल धार्मिक भावना को दर्शाता है, बल्कि सनातन संस्कृति में जीवों के प्रति करुणा और सम्मान की गहराई को भी प्रकट करता है।

“जय श्रीराम” के जयकारों के साथ निकली शव यात्रा

जैसे ही गांव में बंदर की मृत्यु की खबर फैली, ग्रामीण बड़ी संख्या में जुट गए। लोगों ने बंदर के पार्थिव शरीर को श्रद्धापूर्वक सजाया और कंधे पर उठाकर नदी तट तक ले गए। इस दौरान “जय श्रीराम” और “हनुमान चालीसा” के गगनभेदी उद्घोषों से पूरा गांव भक्ति में डूब गया। छोटे-बड़े सभी ग्रामीणों ने इस शव यात्रा में भाग लिया और गहरे भावनात्मक जुड़ाव के साथ अंतिम विदाई दी।

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वैदिक मंत्रों के साथ हुआ अंतिम संस्कार

नदी तट पर पहुंचने के बाद बंदर का अंतिम संस्कार वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ किया गया। ग्रामीणों ने बंदर की आत्मा की शांति के लिए भगवान श्रीराम से प्रार्थना की। यह पूरी प्रक्रिया धार्मिक श्रद्धा और परंपरा के अनुरूप संपन्न की गई, जैसे किसी मनुष्य के लिए अंतिम संस्कार किया जाता है।

समाजसेवी जीत सिंह के नेतृत्व में हुआ आयोजन

बंदर की मृत्यु गांव के वरिष्ठ समाजसेवी और सेवा-निवृत्त अध्यापक जीत सिंह के दरवाजे पर हुई थी। उन्होंने ही पूरे आयोजन का मार्गदर्शन किया। उनके नेतृत्व में न केवल धार्मिक अनुष्ठान पूरे विधि-विधान से संपन्न हुए, बल्कि ग्रामीणों को जीवों के प्रति संवेदना और सनातन धर्म के महत्व की भी याद दिलाई गई।

ग्रामीणों ने दिखाई करुणा और आस्था

इस अवसर पर मनोज सिंह, रणवीर सिंह, उदयवीर, कपिल सिंह, विवेक सिंह और कुबेर समेत अनेक ग्रामीण उपस्थित रहे। उन्होंने इस आयोजन को सनातन परंपरा और जीवों के प्रति करुणा का प्रतीक बताया। ग्रामीणों का कहना था कि आज के युग में जब मानवीय संवेदनाएं कमजोर पड़ रही हैं, ऐसे आयोजन समाज को नई दिशा देते हैं और संस्कृति को जीवंत बनाए रखते हैं।

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एक मिसाल बना मनावां गांव

मनावां गांव का यह आयोजन समाज के लिए एक प्रेरणा है, जो दर्शाता है कि भारतीय संस्कृति हर जीव में ईश्वर का अंश मानती है। यह घटना आस्था, परंपरा और संवेदना का अद्भुत संगम बन गई, जिसे ग्रामीण लंबे समय तक याद रखेंगे।

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