साइबर ठगी से बचाव: डिजिटल दुनिया में सतर्कता जरूरी, अपनाएं ये तरीके

आज के समय में बहुत से लोग आसानी से साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं, ऐसे में यहां दिए गए तरीकों से आप खुद को इससे काफी हद तक बचा सकते हैं। जानने के लिए पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 21 June 2025, 5:10 PM IST
google-preferred

नई दिल्ली: आज की डिजिटल दुनिया में साइबर ठगी एक गंभीर चुनौती बन चुकी है। लोग भले ही सोचते हों कि उनकी जानकारी और सतर्कता उन्हें साइबर अपराधियों से बचा सकती है, लेकिन सच्चाई यह है कि साइबर ठग हर दिन नए-नए हथकंडे अपनाकर लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, वाहनों की फर्जी नीलामी, शेयर ट्रेडिंग घोटाले, यूपीआई स्कैम और डिजिटल अरेस्ट जैसे मामले अब आम हो गए हैं। खासकर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स के आने से साइबर अपराधियों को मानो ठगी का नया हथियार मिल गया हो। ऐसे में, साइबर ठगी से बचने के लिए हमें अपनी डिजिटल आदतों में सुधार और सतर्कता बरतने की जरूरत है।

पासवर्ड और सॉफ्टवेयर को रखें सुरक्षित

साइबर सुरक्षा की पहली कड़ी है मजबूत पासवर्ड। अगर आप सभी वेबसाइट्स या ऐप्स के लिए एक ही पासवर्ड या जन्मतिथि, ‘1234’ जैसे कमजोर पासवर्ड इस्तेमाल करते हैं, तो आप साइबर ठगों के लिए आसान शिकार बन सकते हैं। ऐसे में पासवर्ड मैनेजर का उपयोग करें और नियमित अंतराल पर पासवर्ड अपडेट करें। इसके अलावा, ऑपरेटिंग सिस्टम, ब्राउजर्स और ऐप्स को हमेशा अप-टू-डेट रखें। पुराने सॉफ्टवेयर साइबर अपराधियों के लिए निशाना बनाना आसान होता है। ऑटोमैटिक अपडेट ऑन रखें ताकि नए अपडेट्स तुरंत इंस्टॉल हो सकें।

संदिग्ध कॉल्स और मैसेज से रहें सावधान

साइबर ठग अक्सर मनोवैज्ञानिक युक्तियों का सहारा लेकर लोगों का विश्वास जीतते हैं। कोई बैंक अधिकारी, कूरियर कंपनी या सरकारी कर्मचारी बनकर कॉल करता है, तो बिना जांच-पड़ताल के उस पर भरोसा न करें। हमेशा आधिकारिक वेबसाइट या ऐप के जरिए जानकारी सत्यापित करें। सोशल मीडिया पर अपनी निजी जानकारी, जैसे जन्मतिथि, फोन नंबर या पता, साझा करने से बचें। ऐसी जानकारी का दुरुपयोग फिशिंग या फर्जी मैसेज के जरिए ठगी के लिए हो सकता है।

मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन अपनाएं

अपने बैंक खातों, ईमेल और सोशल मीडिया अकाउंट्स की सुरक्षा के लिए मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA) जरूर अपनाएं। यह पासवर्ड के साथ-साथ फोन पर ओटीपी या गूगल ऑथेंटिकेटर जैसी अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है। अगर आपको अपने अकाउंट में कोई संदिग्ध गतिविधि दिखे, जैसे अनजान लेनदेन या लॉगिन, तो तुरंत बैंक या संबंधित अथॉरिटी को सूचित करें। केवाइसी फ्रॉड आजकल बहुत आम है, इसलिए अनजान लिंक पर क्लिक करने या जानकारी साझा करने से बचें।

एआई टूल्स के दुरुपयोग से सावधान

एआई टूल्स का इस्तेमाल अब ठगी के लिए भी हो रहा है। हैकर्स फर्जी वेबसाइट्स और वीडियो बनाकर यूजर्स को झांसे में लेते हैं। गूगल के अनुसार, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर फर्जी एआई टूल्स, जैसे लूमा एआई या कैनवा ड्रीम लैब के नकली वर्जन को प्रमोट किया जाता है। इन वेबसाइट्स पर यूजर्स को जिप फाइल डाउनलोड करने के लिए लुभाया जाता है, जो मालवेयर इंस्टॉल कर डेटा चुरा लेता है। ऐसी वेबसाइट्स की वैधता जांचें और अनजान सोर्स से कुछ भी डाउनलोड न करें। अपडेटेड एंटीवायरस सॉफ्टवेयर का उपयोग भी जरूरी है।

साइबर ठगी से बचने के लिए जागरूकता और सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है। अपनी डिजिटल आदतों में सुधार करें, संदिग्ध कॉल्स और मैसेज से सावधान रहें और मजबूत साइबर सुरक्षा उपाय अपनाएं। डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रहने के लिए थोड़ी सी सावधानी आपको बड़े नुकसान से बचा सकती है।

Location : 

Published :