बौद्धिक संपदा अधिकारों और आधुनिकीकरण पर ब्रिटेन समेत कई देशों के साथ जानिये भारत की इस योजना के बारे

डीएन ब्यूरो

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिकारों और आधुनिकीकरण पर ब्रिटेन सहित कई अर्थव्यवस्थाओं के साथ बातचीत जारी है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल


लंदन: केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिकारों और आधुनिकीकरण पर ब्रिटेन सहित कई अर्थव्यवस्थाओं के साथ बातचीत जारी है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उन्होंने अपनी लंदन यात्रा के समापन पर इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) के ब्रिटेन चैप्टर के एक कार्यक्रम में एक सवाल के जवाब में यह बात कही।

इस दौरान उन्होंने आईपी अधिकार, निगम कर से लेकर पर्यावरण, सामाजिक और कॉरपोरेट प्रशासन (ईएसजी) सहित कई विषय पर चर्चा की।

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उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ तालमेल स्थापित करना सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर है। आईपी और अन्य मानकों पर दुनिया की सोच के साथ एकीकरण भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज वृद्धि के लिए जरूरी है।

गोयल ने कहा, ''हम ब्रिटेन के साथ आईपी अधिकार या आईपी आधुनिकीकरण पर काम कर रहे हैं। हमारी कोशिश बौद्धिक संपदा अधिकारों और उससे जुड़े क्षेत्रों को लेकर भारतीय प्रोटोकॉल में सुधार करना है। हालांकि, मुझे लगता है कि इस प्रक्रिया को क्रमिक रूप से करना होगा।''

उन्होंने कहा, ''हम भारत में गुणवत्ता मानकों पर बहुत तेजी से काम कर रहे हैं। गैर-खाद्य उत्पादों के लिए बीआईएस (भारतीय मानक ब्यूरो) और खाद्य उत्पादों पर एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) मानक विकसित किए जा रहे हैं। जहां भी संभव है, हम अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ सामंजस्य बिठाने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन ऐसा हर चीज में संभव नहीं है... हम अपने लगभग 90 प्रतिशत मानकों को आमतौर पर स्वीकृत मानकों के अनुरूप बनाते हैं।''

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उन्होंने साथ ही जोड़ा, ''हम इस बात के प्रति सचेत हैं कि अगर हमें अपनी अर्थव्यवस्था को तेज गति से विकसित करना है, तो हमें मानकों, बौद्धिक संपदा पर सोच रखने वाली दुनिया के साथ खुद को जोड़ना होगा... यह हमारे एजेंडे में बहुत ऊपर है।''

मंत्री ने उम्मीद जताई कि अगले तीन या चार वर्षों में भारतीय मानकों को विश्वस्तरीय माना जाएगा और दुनिया भर में स्वीकार किया जाएगा।










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