DN Exclusive उन्नाव: जुगाड़ से चल रहे स्कूली वाहन, नौनिहालों का जीवन खतरे में

डीएन संवाददाता

कुशीनगर में स्कूली वैन हादसे के बाद भी स्कूल संचालकों की लापरवाही जारी है। डाइनामाइट न्यूज़ टीम ने आज स्कूली बच्चों को लेकर जाने वाली बसों की पड़ताल की तो कई खामियां उजागर हुई। एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..

फाइल फोटो
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उन्नाव: एक तरफ जहाँ प्रदेश सरकार स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर लगातार प्रयास कर रही है, वहीं जिला प्रशासन अभी तक इस समस्या को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहा है, जिस वजह से मानकों के विपरीत स्कूल वाहन चल रहें है।

डाइनामाइट न्यूज़ टीम ने आज इसी कड़ी में जिले के स्कूलों के लिये चल रहे वाहनों के हालात जानने की कोशिश की तो कई खामियां नजर आई।  

सुप्रीम कोर्ट ने दिए ये आदेश 

स्कूली छात्रों की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे रखा है कि सभी स्कूल बसों में सीसीटीवी कैमरा लगा होना चाहिए और स्पीड गवर्नर के साथ ही खिड़कियों में जाली लगी होनी चाहिए, लेकिन डाइनामाइट न्यूज़ को कई स्कूली बसों में यह सुविधा देखने को नहीं मिली। 

प्राइवेट और सरकारी विद्यालयों में अटैच वाहन

शहर के ज्यादातर स्कूलों में चलने वाले वाहन प्राइवेट है, जिनसे छात्रों को स्कूल लाया जाता है। कोर्ट के आदेश के अनुसार स्कूली वाहनों को पीले रंग से रंगा होना चाहिए, लेकिन प्राइवेट वाहन होने की वजह से उन्हें पीले रंग से नहीं रंगा गया है। वहीं प्राइवेट वाहनों पर किसी भी तरह की कोई ही कार्यवाही नहीं की जा रही है।  

अशिक्षित व नाबालिकों चला रहे गाड़ियाँ

सुप्रीम कोर्ट की नियमवाली के अनुसार स्कूली वाहनों को चलाने वाले ड्राइवर को कम से कम 5 साल के अनुभव होने चाहिए। डाइनामाइट न्यूज़ को देखने में मिला कि शहर के ज्यादातर स्कूल बस ड्राइवर या वैन ड्राइवर मनमानी करते हुए हाई स्पीड में गाड़ियां चलाते नजर आते है, लेकिन स्कूल बस व ठेकेदार कम वेतन पर अनट्रेंड और कम अनुभव वाले ड्राइवर रख लेते हैं

इसके अलावा स्कूल वाहनों के पीछे स्कूल का नंबर लिखा होना भी अनिवार्य हैं। लेकिन इसके बाद भी स्कूलों का प्रबंधन इस पर किसी ही तरह का कोई ही ध्यान नहीं दे रहा है। स्कूली वाहनों को लेकर प्रशासन भी अब ध्यान नहीं दे रहें हैं। जिस वजह से आने वाले समय में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। 










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