यूएपीए अधिकरण ने पीएफआई पर सरकार के प्रतिबंध की पुष्टि की

डीएन ब्यूरो

गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत गठित एक अधिकरण ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को गैर कानूनी संगठन घोषित करने और इसपर पांच साल का प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले की मंगलवार को पुष्टि की।

पीएफआई पर सरकार के प्रतिबंध की पुष्टि की(फाइल)
पीएफआई पर सरकार के प्रतिबंध की पुष्टि की(फाइल)


नयी दिल्ली: गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत गठित एक अधिकरण ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को गैर कानूनी संगठन घोषित करने और इसपर पांच साल का प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले की मंगलवार को पुष्टि की।

इस्लामिक स्टेट (आईएस) जैसे वैश्विक आतंकवादी संगठनों से कथित रूप से संबंध होने और देश में सांप्रदायिक नफरत फैलाने के आरोप में बीते बरस 27 सितंबर को केंद्र सरकार ने पीएफआई पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था।

मामले से जुड़े वकीलों ने पुष्टि की कि अधिकरण की अगुवाई कर रहे दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने अपने फैसले में संगठन पर प्रतिबंध की पुष्टि की है।

केंद्र ने पीएफआई और इसके सहयोगी या इससे संबंद्ध संगठनों पर रोक लगा दी थी, जिसमें रेहाब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम्स काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यमून राइट्स ऑर्गनाइज़ेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल वूमंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, इम्पावर इंडिया फाइंडेशन और रेहाब फाउंडेशन, केरल शामिल था।

नेशनल वूमंस फ्रंट की पैरवी कर रहे वकील कार्तिक वेणु ने कहा कि अधिकरण ने सभी आठ संगठनों पर प्रतिबंध की पुष्टि की है।

केंद्र सरकार ने पिछले साल 27 सितंबर को जारी अधिसूचना में कहा था ‘‘उक्त कारणों के चलते केंद्र सरकार का दृढ़ता से यह मानना है कि पीएफआई की गतिविधियों को देखते हुए उसे और उसके सहयोगियों या मोर्चों को तत्काल प्रभाव से गैरकानूनी संगठन घोषित करना जरूरी है। उक्त अधिनियम की धारा-3 की उपधारा (3) में दिए गए अधिकार का इस्तेमाल करते हुए इसे गैर-कानूनी घोषित किया जाता है।’’

पीएफआई से कथित रूप से जुड़े 150 से अधिक लोगों को पिछले साल सितंबर में सात राज्यों में छापेमारी के दौरान हिरासत में लिया गया था या गिरफ्तार किया गया था।










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