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महराजगंज के युवा ने छोड़ी लाखों की सैलरी वाली नौकरी और जुटे इस काम में, जानिये पूरी प्रेरक कहानी

बीजापार में आईटी सेक्टर में पंद्रह लाख पैकेज की नौकरी छोड़कर सिसवा कस्बे का निवासी एक युवा हल्दी और अदरक का पाउडर विदेश भेजकर लाखों कमा रहा है। पढें डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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महराजगंज के युवा ने छोड़ी लाखों की सैलरी वाली नौकरी और जुटे इस काम में, जानिये पूरी प्रेरक कहानी

सिसवा (महराजगंज): आईटी सेक्टर में 15 लाख पैकेज की नौकरी को छोड़कर सिसवा अपने घर आए नवरत्न तिवारी ने लोगों को निरोग रखने की मुहिम छेड़ दी है। सिसवा ब्लाॅक के ग्राम शीतलापुर के निवासी ने पास में ही 6 एकड़ जमीन पर देशी बीज, गाय के गोबर और मूत्र के प्रयोग से यह लोगों को निरोग रखने के साथ ही अच्छी आय भी कमा रहे हैं।

हरियाणा से हुआ लगाव
डाइनामाइट न्यूज से बातचीत में नवरत्न तिवारी ने बताया कि नोएडा में आईटी सेक्टर में नौकरी के दौरान वे  कुछ मित्रों के घर हरियाणा आया-जाया करते थे। यहां पर उन्होंने आर्गेनिक खेती देखी और समझा। कृषि अनुसंधान केंद्र महाराष्ट्र जाकर इन्होंने इसकी बारीकियों को सीखा। बस फिर यह सिसवा कस्बे अपने पैतृक गांव पहुंचकर खेती करने लगे। 

62 तरह के अनाज
नवरत्न अपने खेत में 62 तरह के अनाज, फल, सब्जी, मशरूम, दलहन औषधीय पौधों की उपज कर रहे हैं। अपने ही खेत में हल्दी और अदरक की पैदावार कर इसका पाउडर विदेशों तक भेज रहे हैं। 

यह भी है खास
खेत में नवरत्न तिवारी ने मानसी गेंहू, सब्जी में गोभी, मटर, चना, धनिया, सेव सहित तमाम मौसमी सब्जी व औषधीय पौधों की पैदावार की है। खेत में बेड बनाकर गन्ना, गेंहू, धनिया, बैगन, भिंडी, अरहर इन पांच फसलों को एक-एक बेड में लगाया है। 

गाय के गोबर का छिडकाव
नवरत्न ने डाइनामाइट न्यूज संवाददाता को बताया कि प्राकृतिक खेती के लिए गोमूत्र को दो सौ लीटर के डम में एकत्र कर उसमें 13 किलो गोबर, एक किलो गुड, बेसन या किसी भी दाल का आटा आधा किलो डालकर रखा जाता है। तीन से चार दिन बाद उसे फसलों में छिडकाव किया जाता है। घन जीवामृत बनाने के लिए गोबर मूत्र एकत्र कर 55 दिन की प्रक्रिया के बाद तैयार कर उसे जोताई के समय डाला जाता है। 

अन्य किसानों को प्रेरित
नवरत्न तिवारी अपनी इस पद्धति से अन्य किसानों को भी परिचित कराकर उनकी आय बढाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। उनका मानना है कि बेरोजगारी कहीं नहीं है, बस जरूरत है मेहनत करने की।  

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