सुप्रीम कोर्ट ने ‘श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह’ संबंधी याचिकाओं पर इलाहाबाद हाई कोर्ट से मांगी ये रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

सर्वोच्च अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित मुकदमों का विवरण पेश करने का निर्देश दिया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

सर्वोच्च अदालत
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नयी दिल्ली: सर्वोच्च अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित मुकदमों का विवरण पेश करने का निर्देश दिया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ उच्च न्यायालय द्वारा पारित उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मथुरा की एक अदालत में इस विवाद से जुड़े सभी लंबित मामलों को अपने पास स्थानांतरित कर लिया था।

न्यायमूर्ति कौल ने कहा, “मामले की प्रकृति को देखते हुए, क्या यह बेहतर नहीं होगा कि उच्च न्यायालय मामले की सुनवाई करे? गंभीरता से विचार करते हुए, अगर इसकी सुनवाई उच्च स्तर पर की जाती है... मामले के लंबित होने से किसी न किसी पक्ष को परेशानी होती है।’’

न्यायमूर्ति कौल ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि कार्यवाही की बहुलता और इसका लंबा खिंचना किसी के भी हित में नहीं है।

उन्होंने कहा कि बेहतर होगा, अगर यह मामला उच्च न्यायालय स्तर पर ही सुलझ जाए।

उसके बाद, पीठ ने अपने आदेश में कहा, ''हम उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार से यह पूछना उचित समझते हैं कि वे कौन से मामले हैं जिन्हें विवादित आदेश के तहत एक साथ करने का अनुरोध किया गया है।

पीठ ने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि जारी निर्देश में बहुत कम सामान्यता है। तीन सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करें।’’

मथुरा की अदालत के समक्ष दायर मुकदमे में, हिंदू सेना प्रमुख विष्णु गुप्ता और अन्य के माध्यम से बाल कृष्ण ने सिविल न्यायाधीश सीनियर डिवीजन (तीन) की अदालत में याचिका दायर कर शाही मस्जिद ईदगाह को स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है। उनका दावा है कि ईदगाह का निर्माण श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की 13.37 एकड़ भूमि के एक हिस्से पर किया गया है।

उच्च न्यायालय ने 26 मई को निर्देश दिया था कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित सभी मामले जो मथुरा की एक अदालत के समक्ष लंबित हैं, उन्हें उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया जाए।

याचिकाकर्ताओं ने अनुरोध किया था कि अयोध्या मामले की तरह इस मामले में भी मूल सुनवाई उच्च न्यायालय द्वारा की जानी चाहिए।










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