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कश्मीर में अधिकतर राजनीतिक दलों की मांगें भाजपा से रियायतें मांगने तक सीमित

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता वाहिद पर्रा ने सोमवार को कहा कि नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) समेत अधिकतर राजनीतिक दलों की मांगें चुनाव कराने या भाजपा से रियायत मांगने तक ही सीमित हैं। पर्रा के इस बयान से जम्मू कश्मीर में विपक्षी एकता को झटका लग सकता है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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कश्मीर में अधिकतर राजनीतिक दलों की मांगें भाजपा से रियायतें मांगने तक सीमित

पुलवामा: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता वाहिद पर्रा ने सोमवार को कहा कि नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) समेत अधिकतर राजनीतिक दलों की मांगें चुनाव कराने या भाजपा से रियायत मांगने तक ही सीमित हैं। पर्रा के इस बयान से जम्मू कश्मीर में विपक्षी एकता को झटका लग सकता है।

उन्होंने अलगाववादियों पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि जब 2016 में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने उनके साथ बातचीत करने की कोशिश की थी तब उन्होंने अपने दरवाजे बंद कर लिये थे।

पर्रा ने दक्षिण कश्मीर में पीडीपी का गढ़ समझे जाने वाले पुलवामा जिले में पार्टी के एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘ एक पार्टी राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग कर रही है जबकि दूसरी मुख्यमंत्री का पद चाहती है। सबसे बड़ा राजनीतिक दल नेशनल कांफ्रेंस चाहता है कि चुनाव हो । कीमत भले जो हो, सच्चाई बोलने की जरूरत है।……एक ऐसी पार्टी है जो भाजपा से बस एक मंत्रालय मांग रही है, कोई आवास चाहता है तो कोई अन्य निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ)।’’

उन्होंने पीडीपी के 24 वें स्थापना दिवस समारोह में कहा, ‘‘ हमारे (पीडीपी के) पास अनुच्छेद 370, 35 ए, मुख्यमंत्री पद, राज्य का दर्जा, आवास और पीएसओ भी थे। तब भाजपा के साथ हमारे मतभेद क्या थे? हम लोकतांत्रिक तरीके से कश्मीर समस्या तथा लोगों की समस्याओं का समाधान चाहते थे ।’’

अलगाववादियों पर निशाना साधते हुए पर्रा ने कहा कि पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने बतौर मुख्यमंत्री 2016 में, प्रधानमंत्री से कश्मीर के लोगों के साथ वार्ता का अनुरोध किया था।

पर्रा आतंकवाद के एक मामले में जमानत पर हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ हुर्रियत कांफ्रेंस के पास एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजा गया था लेकिन उसने अपना दरवाजा बंद कर लिया। (घाटी में) बंद (का आयोजन किया गया) था और स्कूल बंद थे। सरकार को काम नहीं करने दिया गया। आज पिछले चार वर्षों से कोई हड़ताल नहीं है, स्कूल सामान्य ढंग से चल रहे हैं। यह हमारे लिए अच्छी बात है।

पर्रा ने कहा कि चुनाव कश्मीर की समस्याओं का समाधान नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘ हम गरिमा और सम्मान चाहते हैं। युवाओं को स्वतंत्र महसूस करना करना चाहिए, उन्हें नहीं लगना चाहिए कि वे सलाखों के पीछे हैं।’’

पीडीपी की युवा शाखा के अध्यक्ष पर्रा की ये टिप्पणियां नेशनल कांफ्रेंस के लिए असहज हो सकती हैं । दोनों ही दल ‘पीपल्स अलायन्स फॉर गुपकार डिक्लेरेशन’ (पीएजीडी) के घटक हैं। केंद्र द्वारा 2019 में अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटाये जाने के बाद पीएजीडी का गठन किया गया था और उसके घटक दलों ने मिलकर बीडीसी चुनाव लड़ा था।

वैसे तो दोनों दल एक दूसरे के कटु प्रतिद्वंद्वी रहे हैं लेकिन उनके नेता संकेत देते रहे हैं कि वे साथ मिलकर अगला विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। उन्होंने एक दूसरे के विरूद्ध कोई बयान नहीं दिया है।

मुफ्ती पहले कह चुकी हैं कि जबतक जम्मू कश्मीर के विशेष संवैधानिक प्रावधान बहाल नहीं कर दिये जाते हैं तबतक वह विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। ये प्रावधान पांच अगस्त, 2019 को हटा दिये गये थे या कमजोर कर दिये गये थे। हालांकि मुफ्ती ने श्रीनगर में अपने संबोधन में पार्टी कार्यकर्ताओं से आगामी पंचायत एवं बीडीसी चुनाव की तैयारी करने का आह्वान किया था।

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