बरियान योग के संयोग में मनेगी शिवरात्रि का महापर्व, महादेव की पूजा अमोघ फलदाई, जिले में तेज हुई तैयारियां , जाने क्या है महत्व

डीएन ब्यूरो

अबकी बार महाशिव रात्रि का पर्व 18 फरवरी को शुभ संदेश लेकर आ रही है। बरियान योग में महादेव की पूजा उच्च शुक्र के विशेष संयोग में ऐश्वर्य, भौतिक सुखों में उन्नति व वृद्धि दिलाएगा। डाइनामाइट न्यूज़ पर पढ़िये महाशिवरात्रि का महत्व

ईटाहिया शिवमंदिर (फ़ाइल फोटो )
ईटाहिया शिवमंदिर (फ़ाइल फोटो )


महराजगंजः हम सबके आराध्य भगवान शिव शंकर का विशेष आराधना का पर्व महाशिवरात्रि 18 फरवरी को मनेगी। बरियोग योग में भगवान भोलेनाथ की पूजा. अभिषेक अत्यंत फलदाई होगी। शास्त्रों में शुक्र को भौतिक सुखों व धन एवं संवाद का कारक माना गया है। महाशिवरात्रि पर कालसर्प दोष शांति पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है। जिन व्यक्तियों को कालसर्प दोष है, उन्हें इस संयोग में दोष की शांति कराना श्रेष्ठ रहेगी। भगवान शिव की आराधना करने से सुख.समृद्धि आती है। भगवान की आराधना से ही रुके हुए कामों में सफलता हासिल होती है। 


सजने लगे शिवालय 
महाशिवरात्रि को लेकर श्रद्धालुजनों में खासा उत्साह है। शिवालयों पर तैयारियां शुरु हो गईं है। शहर से लेकर गांव में महादेव की आराधना को लेकर तैयारियां जोर पकड़ने लग गईं हैं। निचलौल क्षेत्र के ईटहिया पंचमुखी शिवमंदिर, कटहरा के शिवमंदिर, धानी के कांक्षेश्वर नाथ शिवमंदिर, बहुरहवा बाबा शिवमंदिर सहित नगर के सिंचाई कालोनी स्थित शिवमंदिर, जड़ार शिवमंदिर, करमहा स्थित शिवमंदिर को महाशिवरात्रि के अवसर पर आकर्षक तरीके से सजाने की तैयारियां तेज हो गई है। 

शिव संग गौरी की भी होती है पूजा
मान्यतानुसार भगवान शंकर इस दिन संपूर्ण शिवलिंग में प्रवेश करते हैं। शिव मनुष्य जीवन में सुख संपत्ति, ऋद्धि,सिद्धि,बल.वैभव, स्वास्थ्य, निरोगता, दीर्घायु, लौकिक,पारलैकिक सभी शुभ फलों के दाता हैं। शक्ति का हर रूप शिव के साथ ही निहित है। महाशिवरात्रि पर शिव और शक्ति की संयुक्त रूप से आराधना करनी चाहिए। शिवरात्रि को आसुरी शक्तियों पर विजय प्राप्त करने के लिए शिव और शक्ति का योग भी कहा गया है। 

जड़ार शिवमंदिर 


कुंवारी संग सुहागिनों के आराध्य हैं शिव
महाशिवरात्रि का पावन दिन सभी कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर और विवाहित महिलाओं को अखंड सुहाग का वरदान दिलाने वाला सुअवसर प्रदान करता है। अगर विवाह में कोई बाधा आ रही हो, तो भगवान शिव और जगत जननी के विवाह दिवस यानी महाशिवरात्रि पर इनकी पूजा.अर्चना करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 


समुद्र मंथन पौराणिक कथा
सभी पौराणिक कथाओं में नीलकंठ की कहानी सबसे ज्यादा चर्चित है। ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही समुद्र मंथन के दौरान कालकेतु विष निकला था। भगवान शिव ने संपूर्ण ब्राह्मांड की रक्षा के लिए स्वंय ही सारा विष पी लिया था। इससे उनका गला नीला पड़ गया और उन्हें नीलकंठ के नाम से जाना गया।


महिलाओं के लिए महत्व
ऐसा माना जाता है जब कोई महिला भगवान शिव से प्रार्थना करती है, तो भगवान शिव उनकी प्रार्थना को आसानी से स्वीकार कर लेते हैं। भगवान शिव की पूजा में किसी विशेष सामग्री की जरूरत नहीं पड़ती है। सिर्फ पानी और बेलपत्र के जरिए भी श्रद्धालु भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते हैं। यही वजह है कि महाशिवरात्रि का महिलाओं के लिए विशेष महत्व है। ऐसा मानना है कि अगर अविवाहित महाशिवरात्रि के दिन उपवास करती है तो उन्हें भगवान शिव जैसा ही पति मिलता है।


शिवरात्रि का महत्व
ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान मानवजाति के काफी निकट आ जाते हैं। मध्यरात्रि के समय ईश्वर मनुष्य के सबसे ज्यादा निकट होते हैं। यही कारण है कि लोग शिवरात्रि के दिन रातभर जागते हैं। विधिपूर्वक व्रत रखने पर तथा शिवपूजन, शिव कथा, शिव स्तोत्रों का पाठ व उँ नमः शिवाय का पाठ करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता हैं। व्रत के दूसरे दिन ब्राह्माणों को यथाशक्ति वस्त्र.क्षीर सहित भोजन, दक्षिणादि प्रदान करके संतुष्ट किया जाता हैं।

 










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