Navratri Day 4: कुष्मांडा माता की पूजा की मुख्य वस्तुएं और प्रसिद्ध मंदिर

डीएन ब्यूरो

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा का विधान है। जानें भारत में मौजूद कुष्मांडा माता के प्रमुख मंदिर के बारे में। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

कुष्मांडा माता
कुष्मांडा माता


नई दिल्ली: नवरात्रि के चौथे दिन देवी दुर्गा के कुष्मांडा (Kushmanda) स्वरूप की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि देवी कुष्मांडा ने अपनी मुस्कान से ब्रह्मांड (Universe) की रचना की थी। इस दिन पूजा में विशेष वस्तुएं और मंत्रों का महत्व होता है। 

पूजा की मुख्य वस्तुएं:

1. लाल रंग के वस्त्र – देवी कूष्माण्डा को लाल रंग अत्यंत प्रिय होता है। इसलिए पूजा करते समय लाल वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है।
2. कमल का फूल – देवी को कमल का फूल अर्पित करना शुभ होता है। यह समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
3. सिंदूर और अक्षत – पूजा में सिंदूर और अक्षत (चावल) का उपयोग देवी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है।
4. शहद – इस दिन देवी को शहद का भोग लगाना विशेष फलदायी होता है, क्योंकि यह मिठास और संतुष्टि का प्रतीक है।

मंत्र (Mantra):

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कुष्मांडा देवी की पूजा के दौरान निम्न मंत्र का जाप करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है:

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कुष्माण्डायै नमः।

इस मंत्र के जाप से भक्तों को मानसिक शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। इसे कम से कम 108 बार जपना चाहिए।

मां कुष्मांडा का प्रसिद्ध मंदिर:

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कुष्मांडा देवी मंदिर कानपुर के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है, जो देवी दुर्गा के कूष्माण्डा स्वरूप को समर्पित है। नवरात्रि के अवसर पर यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, जो माता के आशीर्वाद के लिए आते हैं। ऐसा माना जाता है कि माता कूष्माण्डा अपने भक्तों के जीवन से सभी कष्टों का नाश करती हैं और उन्हें सुख, शांति व समृद्धि प्रदान करती हैं।

मंदिर का वातावरण अत्यंत शांत और भक्तिमय होता है, जहाँ श्रद्धालु देवी की प्रतिमा के सामने दीप जलाकर, फूल अर्पित कर और मंत्रों का जाप कर पूजा-अर्चना करते हैं। नवरात्रि के दौरान यहां विशेष पूजा-पाठ, हवन और भंडारों का आयोजन होता है। इस दौरान दूर-दूर से लोग माता कूष्माण्डा के दर्शन के लिए आते हैं।

कुष्मांडा देवी मंदिर का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व कानपुर और आसपास के क्षेत्रों में विशेष रूप से प्रसिद्ध है, और यह भक्तों के लिए आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र है।

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