खामोश हुआ पत्रकारिता जगत का बोलता तारा, जाने.. कुलदीप नैयर से जुड़ी अनकही-अनसुनी बातें

पत्रकारिता जगत में कुलदीप नैयर एक ऐसा चेहरा बनकर उभरे, जिसे हर कोई याद रखना चाहेगा। पिछले कुछ दिनों से बीमारी से जूझ रहे कुलदीप का 95 साल की उम्र में निधन हो गया है। उनका जाना देश व पत्रकारिता जगत की बड़ी क्षति है। डाइनामाइट न्यूज़ की इस स्पेशल रिपोर्ट में जाने उनके बारे में कुछ अनकही-अनसुनी बातें..

Updated : 23 August 2018, 1:15 PM IST
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नई दिल्ली: पत्रकारिता जगत ने बुधवार को अपना एक लाल खो दिया है। हम बात कर रहे हैं जाने- माने वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर की, जिनकी जीवन यात्रा 95 साल में खत्म हो गयी। वह बीते 3 दिनों से दिल्ली के एक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे। उनकी सेहत काफी दिनों से नाजुक बनी हुई थी। बुधवार की रात उन्होंने यहीं अंतिम सांस ली। उनके निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई महत्वूर्ण लोगों ने अपनी संवेदना को व्यक्त किया है।

कुलदीप को एक विशेष लेखन शैली के लिये जाना जाता है। उन्होंने न सिर्फ उर्दू में पत्रकारिता की, बल्कि कई अखबारों के लिए अंग्रेजी समेत कई अन्य भाषाओं में भी लिखा। उनके लेखों को हर कोई तबका गहरी दिलचस्पी के साथ पढ़ता था।   

जन्म और पढ़ाई-लिखाई

14 अगस्त 1924 को जन्मे नैयर की प्राथमिक शिक्षा सियालकोट स्थित स्कूल में ही हुई। सियालकोट अब पाकिस्तान का हिस्सा है। उन्होंने लाहौर से विधिकी डिग्री भी हासिल की। साथ ही अमेरिका से पत्रकारिता की डिग्री ली। वहीं नैयर ने दर्शनशास्त्र में पी.एच.डी भी हासिल की। 

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पीएम मोदी ने उनकी मृत्यु पर कहा कि आपातकाल के खिलाफ नैयर का कड़ा रुख, जनसेवा तथा बेहतर भारत के लिए उनकी प्रतिबद्धता को देश व पत्रकारिता जगत हमेशा याद रखेगा। वहीं केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई अन्य नेताओं ने भी उनके निधन पर दुख प्रकट किया है। 

पत्रकारिता में अविस्मरीणय योगदान 

कुलदपी नैयर ने अपनी पत्रकारिता की शुरुआत एक उर्दू प्रेस रिपोर्टर के तौर पर की थी। दिल्ली के समाचार पत्र द स्टेट्समैन में वह संपादक के पद पर भी कार्यरत रहे थे। आपातकाल (1975-77) के दौरान उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था। नैयर की पहचान सिर्फ एक पत्रकार के रूप में ही नहीं थी, वह एक मानवाधिकार कार्यकर्ता और शांति कार्यकर्ता के रूप में भी जाने जाते हैं। उन्होंने 1996 में संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत का प्रतिनिधित्व भी किया था। उन्हें 1990 में ग्रेट ब्रिटेन में उच्चायुक्त भी नियुक्त किया गया था वहीं अगस्त 1997 में उन्हें राज्यसभा के लिए भी नामांकित किया गया था। 

इन अखबारों में छोड़ी गहरी छाप

उन्होंने द संडे गार्जियन, डेक्कन हेराल्ड(बेंगलुरु) द डेली स्टार, द न्यूज, द स्टेट्समैन, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून पाकिस्तान, डॉन पाकिस्तान समेत 80 से अधिक समाचार पत्रों के लिए 14 भाषाओं में ऐप- एड व कॉलम लिखा। 

इन पुरस्कारों से भी किया गया सम्मानित 

कुलदीप नैयर को 23 नवम्बर 2015 को पत्रकारिता में आजीवन उपलब्धि के लिए रामनाथ गोयनका स्मृति पुरस्कार से नवाजा गया था। उन्हें यह पुरस्कार दिल्ली में आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में केद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने प्रदान किया था। 

Published : 
  • 23 August 2018, 1:15 PM IST

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