ब्रिटेन के संग्रहालय से नगा समुदाय के मानव अवशेषों को वापस लाने की प्रक्रिया, जानिये पूरा मामला
ब्रिटेन के लोग नगालैंड और इस क्षेत्र में नगा आबादी वाले अन्य क्षेत्रों से इन मानव अवशेषों को एक सदी से भी अधिक समय पहले ले गए थे और इन मानव अवशेषों को वापस भेजा जाना ‘‘अनौपनिवेशीकरण’’ प्रक्रिया का हिस्सा है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
कोहिमा: ब्रिटेन के एक संग्रहालय से नगा समुदाय के मानव अवशेषों को वापस लाने की प्रक्रिया जारी है।
ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड के ‘पिट रिवर म्यूजियम’ (पीआरएम) में नगा समुदाय के 213 मानव अवशेषों समेत दुनिया भर की कई प्राचीन वस्तुएं रखी हैं। पीआरएम ने 2020 में घोषणा की थी कि वह प्रदर्शनी से मानव अवशेषों और अन्य ‘‘असंवेदनशील वस्तुओं’’ को हटाएगा।
इसका पता चलने पर ऑस्ट्रेलिया की एक नगा मानविकीविद् डॉली कोन्याक ने स्कॉटलैंड के एडिनबर्ग में रहने वाले नगा समाजशात्री डॉ. अरकातोंग लोंगकुमेर से संपर्क किया और उन्होंने पीआरएम की निदेशक लॉरा वान ब्रोएखोवेन से संवाद किया। ब्रोएखोवेन ने इसके बाद ‘फोरम फॉर नगा रेकन्सिलिऐशन’ (एफएनआर) से मानव अवशेषों को वापस भेजे जाने की प्रक्रिया में मदद करने का आग्रह किया।
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एफएनआर केंद्र के साथ शांति वार्ता कर रहे विभिन्न नगा धड़ों के बीच सुलह की प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक ब्रिटेन के लोग नगालैंड और इस क्षेत्र में नगा आबादी वाले अन्य क्षेत्रों से इन मानव अवशेषों को एक सदी से भी अधिक समय पहले ले गए थे और इन मानव अवशेषों को वापस भेजा जाना ‘‘अनौपनिवेशीकरण’’ प्रक्रिया का हिस्सा है।
एफएनआर के संयोजक वती ऐयर ने कहा कि संगठन इस प्रक्रिया में मदद कर रहा है, जो अभी प्रारंभिक चरण में है।
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एफएनआर की सदस्य एलेन कोन्याक जमीर ने बताया कि फोरम ने डॉली कोन्याक एवं लोंगकुमेर और नगा समाज के कुछ अन्य सदस्यों के साथ मिलकर 2020 में एक ‘रिकवर, रिस्टोर एंड डीकोलोनाइज’ (पुन:प्राप्ति, पुन: स्थापना और उपनिवेश का समापन) दल का गठन किया, जो मानव अवशेषों को वापस लाने की प्रक्रिया में मदद करेगा।
जमीर ने बताया, ‘‘हमें पता चला है कि मानव अवशेषों को जबरन ले जाया गया था और उन्हें दफनाने की उचित रस्म नहीं निभाई गई थी या उनके साथ गरिमापूर्ण व्यवहार नहीं किया गया था। उन्हें मनोरंजन के लिए सूचना देने या अनुसंधान के उद्देश्य से ले जाया गया था जो हमारे मूल्यों और विश्वास के विरुद्ध है।’’